एकादशी
Utpanna Ekadashi 2022 : इस बार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को पड़ रही है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी सभी एकादशियों में सबसे अधिक फलदायी है. इस दिन संतानहीन जहां संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं वहीं धन की कामना के लिए माता लक्ष्मी की अपासना की जाती है. एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनवांछित फलों का प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि अगर पति-पत्नी साथ में व्रत और पूजा करें तो संतान की प्राप्ति अवश्य होती है. संतान का जीवन सुखी रहे इसके लिए भी उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है.
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
ऐसी मान्यता है कि अगर आप एकादशी का व्रत शुरु करने जा रहे हैं तो उत्पन्ना एकादशी इसके लिए सबसे शुभ है. पहली एकादशी मानते हुए उत्पन्ना एकादशी से जो जातक व्रत की शुरुआत करते हैं, उन्हें एकादशी के सभी फलों की प्राप्ति होती है.
जाने क्या है उत्पन्ना एकादशी को लेकर धार्मिक मान्यता
एकादशी का व्रत रखने से मन पवित्र होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा से इंसान को धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. अगर व्यक्ति को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है तो वह भी दूर होती है. उत्पन्ना एकादशी के व्रत से संतान और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
क्या है इस दिन पूजा की विधि
इस दिन व्रत का संकल्प लेने के लिए जरूरी है कि आप ब्रह्म मुहूर्त में ही उठ जाएं. स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और भगवान की आराधना करते हुए एकादशी की कथा सुनें. पूजा के दौरान आप अपने मन की बात भगवान से कह सकती हैं और उनसे अपने कष्टों के निवारण के लिए विनती कर सकती हैं. व्रत का समापन और पारण करने के लिए द्वादशी के दिन साफ मन से ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें
उत्पन्ना एकादशी के व्रत में रखें इन नियमों का ख्याल
अधिकतर लोग यह व्रत निर्जला और फलाहारी या केवल जल ग्रहण करते हुए ही रखते है. अपनी क्षमता और सेहत के अनुसार आप किसी एक प्रकार का चयन कर सकते हैं. व्रत से एक दिन पहले दशमी की रात में भोजन न करें. भगवान को भाग लगाने के लिए सिर्फ फलों का ही उपयोग करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना विशेष तौर पर फलदायी है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए पीले फल-फूल, तुलसी दल और पंचामृत चढ़ाएं.
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