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Mahua Moitra: पहले सांसदी गई, अब जबरन छीना जाएगा बंगला, महुआ मोइत्रा को जारी किया गया बेदखली का नोटिस

Mahua Moitra: टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.

महुआ मोइत्रा

महुआ मोइत्रा (फाइल फोटो)

Mahua Moitra: टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कैश फॉर क्वैरी मामले में सांसदी जाने के बाद अब बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया गया है. संपदा निदेशालय ने महुआ मोइत्रा को बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि बंगला खाली करने के लिए एक महीने का समय दिया गया. कोर्ट जाने का भी मौका दिया गया, लेकिन कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. इसलिए अब अगर बंगले को समय रहते खाली नहीं किया गया तो जबरन खाली करा लिया जाएगा.

8 दिसंबर को सांसदी रद्द कर दी गई थी

बता दें कि बंगले का आवंटन रद्द होने के बाद महुआ मोइत्रा को 7 जनवरी तक खाली करने के लिए कहा गया था, लेकिन 7 जनवरी को बंगलैा खानी नहीं करने पर संपदा निदेशालय ने 8 जनवरी को एक और नोटिस जारी करते हुए 3 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा था. महुआ मोइत्रा ने इस नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद 12 जनवरी को निदेशालय ने तीसरी बार नोटिस जारी कर दिया. टीएमसी नेता की कैश फॉर क्वैरी मामले में 8 दिसंबर को सांसदी रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद बंगले का आवंटन भी रद्द कर दिया गया था.

महुआ को बेदखली का नोटिस जारी

संपदा निदेशालय ने मंगलवार (16 जनवरी) को महुआ को बेदखली का नोटिस जारी किया है. निदेशालय ने 9B टेलीग्राफ लेन का टाइप 5 बंगले को तुरंत खाली करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर समय रहते हुए बंगला खाली नहीं किया गया तो जबरन खाली कराया जाएगा. संपदा निदेशालय जल्द ही एक टीम को भेजकर ये सुनिश्चित कराएगा कि जल्द से जल्द बंगले को खाली कराया जाए.

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महुआ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था

गौरतलब है कि बंगला खाली करने के मामले में TMC नेता महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 4 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि बंगला न खाली करने के लिए महुआ मोइत्रा संपदा निदेशालय से अनुरोध करें कि उन्हें आवंटित सरकारी आवास में रहने की इजाजत दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने महुआ मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि उसने मामले को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है. इसपर संपदा निदेशालय को खुद फैसला करना चाहिए.

-भारत एक्सप्रेस



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