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Haryana Elections: जानें कौन हैं सुनील सांगवान, जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए जेल अधीक्षक के पद से दे दिया इस्तीफा

तीन दिन पहले ही जेल अधीक्षक के पद से सुनील सांगवान ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. भाजपा ने उन्हें हरियाणा के दादरी से विधानसभा का ​टिकट दिया है.

सुनील सांगवान.

Haryana Elections 2024: इस समय हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है. राजनीतिक दल लगातार अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर रही है. इसी बीच भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है. यहां पर उन्होंने कई नए चेहरों को भी टिकट दिया है जिसमें सुनील सांगवान का नाम शामिल होने के बाद लगातार लोग भाजपा के इस निर्णय को लेकर चर्चा कर रहे हैं और निशाना भी साध रहे हैं. दरअसल जेल अधीक्षक के पद पर रहते हुए उन्होंने रेप और हत्या के मामले में जेल में बंद रामरहीम को 6 बार पेरोल और फरलो दी.

बता दें कि तीन दिन पहले ही जेल अधीक्षक के पद से सुनील सांगवान ने वीआरएस लिया है और रविवार को उन्होंने सरकार को पत्र लिखा और फिर तुरंत उन्हें सरकार ने रिटायर भी कर दिया. सुनील सांगवान को भाजपा ने दादरी से टिकट दिया है.

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जेल अधीक्षक की सिफारिश पर ही मिलती है पेरोल-फरलो

मिली जानकारी के मुताबिक, सुनील सांगवान मौजूदा समय में गुरुग्राम की भौंडसी जेल में तैनात थे लेकिन इससे पहले, वह रोहतक की सुनारिया जेल में भी जेल अधीक्षक रहे और उनके पांच साल के कार्यकाल के दौरान यहां पर बाबा राम रहीम को छह बार पेरोल दी गई. बता दें कि जेल अधीक्षक की सिफारिश पर ही सरकार किसी भी कैदी को पेरोल और फरलो देती है.

22 साल तक रहे नौकरी में

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनील सांगवान ने हरियाणा पुलिस में 22 साल तक नौकरी की. इस दौरान वह रोहतक जेल में तैनात थे. तो वहीं राम रहीम को 2017 से लेकर अब तक 10 बार पेरोल-फरलो मिली है जिसमें छह बार सुनील सांगवान के कार्यकाल में मिली.

पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उतरे

मालूम हो कि सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान दादरी से 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं और हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. सतपाल सांगवान ने बीएसएनएल में एसडीओ की नौकरी छोड़ी थी और फिर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत अजमाने के लिए उतरे थे. उन्होंने पहली बार 1996 में दादरी से चुनाव लड़ा था. सतपाल सांगवान दादरी के विधायक बने तो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल ने उन्हें बुलडोजर का नाम दिया था.

दरअसल सियासत के मैदान में उनको लाने वाले भी बंसीलाल ही थे. साल 2009 में सतपाल सांगवान ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजेसी) की तरफ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस दौरान कांग्रेस की सरकार बनी. तो वहीं बहुमत न होने के कारण उनको समर्थन दिया था. वह हुड्डा सरकार में मंत्री बने थे. तो वहीं 2014 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए थे.

इसके बाद 2019 में कांग्रेस ने उनको टिकट ही नहीं दिया. इस पर वह जननायक जनता पार्टी में शामिल हो गए लेकिन अब वह भाजपा में हैं. बता दें कि सतपाल सांगवान का राजनीतिक करियर करीब 28 वर्षों से अधिक का रहा है. इस दौरान उन्होंने लगातार छह चुनाव लड़े, लेकिन दो बार जीत मिली और मंत्री भी बने. तो वहीं अब यहां से उनके बेटे राजनीति में अपनी किस्मत अजमाने के लिए उतरे हैं. सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां से दंगल गर्ल और महिला पहलवान बबीता फोगाट भी चुनाव लड़ना चाहती थी. 2019 के चुनाव में बबीता यहां से चुनाव हार गई थीं.

-भारत एक्सप्रेस



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