विश्लेषण

2003 से लेकर 2018 तक…मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को मिली कितनी सीटें?

MP Election: मध्य प्रदेश विधानसभा का पांच साल का कार्यकाल 6 जनवरी 2024 को समाप्त होगा. प्रदेश में नई विधानसभा के लिए एकल चरण में 17 नवंबर 2023 को मतदान संपंन्न हुआ, जिसके बाद से सभी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के साथ-साथ राज्य की जनता की नजर भी तीन दिसंबर की तारीख पर टिकी है. दरअसल, पांच राज्यों के साथ तीन दिसंबर को मध्य प्रदेश का चुनाव परिणाम भी सामने आएगा.

2018 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के ‘नाथ’ कमल नाथ मुख्यमंत्री बने. हालांकि, मार्च 2020 में, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई. कमल नाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई. शिवराज सिंह चौहान पहले भी 2005 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके थे.

मध्य प्रदेश की राजनीति

सीटों के लिहाज से मध्य प्रदेश देश का एक बड़ा राज्य है. राज्य में कुल 230 सीटें हैं. इनमें से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. जबकि 35 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 148 सीटें सामान्य हैं, जबकि 29 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें सामान्य -19, एससी- 4 और एसटी के लिए 6 सीटें रिजर्व हैं. इसके अलावा राज्यसभा की 11 सीटें हैं, प्रदेश में 52 जिले और 10 संभाग आते हैं. राजनीतिक दृष्टि से भी प्रदेश को 6 भागों में बांटा जाता है, जिसका अपना-अपना सियासी महत्व हैं.

यह भी पढ़ें: Ram Mandir: रामलला के दर्शन को जाने वालों के लिए रेलवे चलाएगी स्पेशल ट्रेन, अयोध्या में शुरू हुईं ये खास तैयारियां

2003 से तीन बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत, लेकिन 2018 में हो गया खेल

रिकार्ड के मुताबिक, 2003 में प्रमोद महाजन बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार बने. उन्होंने राम के साथ मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के शासनकाल में विकास को मुद्दा बनाया. सड़क से लेकर बिजली तक के मुद्दे पर एंटी इनकंबेसी का असर होने लगा. तब तक मध्यप्रदेश से निकलकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बन चुका था. विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव हुए और बीजेपी को जनता ने 173 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत दिया. एक बात गौर करने वाली है कि 1990 से पहले मध्य प्रदेश की जनता कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत देती रही है. उसके बाद से लगातार 2018 तक बीजेपी मध्यप्रदेश की सत्ता में काबिज रही. 2008 में भी बीजेपी की सीटें कम हुईं मगर 143 सीटों के साथ शिवराज सिंह चौहान ने पूर्ण बहुमत दिया.

2013 में मोदी लहर से पहले जनता ने तीसरी बार प्रचंड बहुमत दिया. बीजेपी ने 165 और कांग्रेस ने 58 सीटें जीतीं. मंदसौर गोलीकांड के बाद 2018 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में पहली बार किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस ने 114 सीटें जीतीं, जो पूर्ण बहुमत से दो कम थीं. बीजेपी ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की. 2018 के चुनाव का एक समीकरण चौंकाने वाला रहा. बीजेपी को वोट प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस से ज्यादा मत मिले थे, मगर उसे 56 सीटों का नुकसान हो गया. बीजेपी को 41.2 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस ने 2013 के मुकाबले चार फीसदी वोट ज्यादा हासिल किए थे और उसे 56 सीटों का फायदा हुआ था.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

Recent Posts

Delhi Waqf Board Case: आप के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर कोर्ट 6 नवंबर को सुनाएगा फैसला

दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े धन शोधन के मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के…

1 hour ago

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया को लेकर सुनवाई टली, जानें वजह

दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)…

1 hour ago

जेल में वकीलों की असुविधाओं से संबंधित याचिका पर Delhi HC ने अधिकारियों को निर्देश दिया, कहा- 4 सप्ताह में अभ्यावेदन पर शीघ्र निर्णय लें

दिल्ली हाई कोर्ट ने महानिदेशक (कारागार) को निर्देश दिया कि वह जेलों में अपने मुवक्किलों…

2 hours ago

गौरक्षा आंदोलन के शहीदों की याद में 7 नवंबर को युवा चेतना आयोजित करेगी श्रद्धांजलि सभा

पचास के दशक के बहुत प्रसिद्ध संत स्वामी करपात्री जी महाराज लगातार गौ हत्या पर…

3 hours ago

भारत औपनिवेशिक विचारों को नकार रहा है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने कहा, हम अब पूर्व में पूजनीय औपनिवेशिक विचारों और प्रतीकों को चुनौती दे…

3 hours ago