Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 और उसके पहले इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर लेकर सियासी हलचल तेज है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को मात देने के लिए 28 दलों ने मिलकर ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया है और आगामी चुनावों को लेकर बैठकों के जरिए ये तमाम दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. इस बीच इस गठबंधन के लिए ‘सूत्रधार’ की भूमिका में रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार की गतिविधियों और उनकी पार्टी की तरफ से हो रही बयानबाजी ने ‘इंडिया’ गठबंधन की चिंताएं जरूर बढ़ा दी हैं.
हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) आज पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती मना रही है और इसमें कई विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं का जुटान हो रहा है लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस जयंती समारोह से दूरी बना ली है. हालांकि, नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि आईएनएलडी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बने. लेकिन उनके देवीलाल की जयंती समारोह से दूरी बनाने पर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
दूसरी तरफ, ऐसी भी चर्चाएं हैं कि इनेलो की I.N.D.I.A गठबंधन में एंट्री हो सकती है. लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा इनेलो की I.N.D.I.A गठबंधन में एंट्री नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस हरियाणा में मजबूत स्थिति में है और अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है. ऐसे में जयंती समारोह में अन्य दलों के जुटने के बाद अटकलों का बाजार और भी गर्म हो सकता है.
बात करें नीतीश कुमार की तो, वे भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल हुए, जिसके बाद यह कहा जाने लगा है कि कहीं बिहार में ‘खेला’ तो नहीं हो रहा है. दरअसल, को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में भी जदयू नेता ललन सिंह नहीं पहुंचे थे और ऐन वक्त पर उनकी तरफ से कहा गया था कि वे बीमार हैं. जबकि जेडीयू के एक बड़े नेता ने नीतीश कुमार को I.N.D.I.A गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की मांग भी उठा दी है. बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी का कहना है कि नीतीश से ज्यादा योग्य उम्मीदवार कोई नहीं है.
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इस बयानबाजी के बीच अब बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक के जंयती समारोह में नीतीश कुमार के शामिल होने के बाद कयासों का दौर जारी है. हालांकि, नीतीश कुमार ने इन चर्चाओं पर कहा है कि इनमें कोई दम नहीं हैं और क्या चर्चाएं होती हैं, उनको इसकी परवाह नहीं है. लेकिन बिहार की राजनीति में समय-समय पर जिस तरह के ‘यू-टर्न’ देखने को मिलते हैं, उसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जरूर है कि निश्चित तौर पर नीतीश कुमार के मन में कुछ चल रहा है. भले ही वे हाल-फिलहाल बीजेपी के साथ दोबारा हाथ मिलाने के बारे में न सोच रहे हों… लेकिन उनकी ‘इंडिया’ गठबंधन से ‘अघोषित दूरी’ ये संकेत जरूर दे रही है कि किसी न किसी वजह से वे ‘नाराज’ जरूर हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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