विश्लेषण

गहलोत की राह पर वसुंधरा राजे! ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ से सीएम की कुर्सी तक पहुंचेंगी?

Rajasthan Politics: राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा? इसकी तस्वीर अगले कुछ घंटों में साफ हो जाएगी. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत दर्ज की. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है और तमाम अटकलों को धता बताते हुए बीजेपी ने दो नए चेहरों को राज्य की कमान सौंपी है. इसके बाद सभी की नजरें राजस्थान पर हैं और इसको लेकर चर्चाएं तेज हैं कि क्या पूर्व सीएम वसुंधरा राजे तीसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी. एमपी-छत्तीसगढ़ के ट्रेंड देखकर यह कहा जा रहा है कि वसुंधरा की राह यहां मुश्किल लगती है. लेकिन सीएम पद की रेस में अभी भी वह बनी हुई हैं और उनके समर्थक लगातार दावे कर रहे हैं कि वसुंधरा राजे के साथ ज्यादा विधायक हैं.

सीएम पद के लिए पार्टी किसे चुनेगी? इस पर सस्पेंस के बीच कुछ नवनिर्वाचित भाजपा विधायकों ने वसुंधरा राजे से मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक, अजय सिंह और बाबू सिंह समेत करीब 10 विधायक राजे के आवास पर थे. सोमवार को भी कई बीजेपी विधायकों ने राजे से मुलाकात की थी और इन मुलाकातों को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया था. वह हाल ही में दिल्ली में थीं, जहां उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी. लेकिन कहा जा रहा है कि तब बात नहीं बन पाई थी. दरअसल, राजस्थान में ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का गेम बहुत देखने को मिलता है. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत इसका सबसे बड़ा उदाहरण कहे जा सकते हैं.

गहलोत की राह पर वसुंधरा

अशोक गहलोत का राजस्थान कांग्रेस में दबदबा रहा है और सचिन पायलट से मिलने वाली तमाम चुनौतियों के बीच भी वह अपनी कुर्सी बचा पाने में कामयाब रहे. एक नहीं… कई मौकों पर अशोक गहलोत के सामने चुनौतियां आईं लेकिन अशोक गहलोत आलाकमान के सामने अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे. सचिन पायलट के साथ विधायक थे, अशोक गहलोत के खिलाफ माहौल था, बगावत खुलकर सड़कों तक आ गई थी… लेकिन फिर भी अशोक गहलोत इसी प्रेशर पॉलिटिक्स की वजह से आलाकमान पर दबाव बनाने में कामयाब रहे और अपना कार्यकाल पूरा किया. वहीं अब वसुंधरा राजे के बारे में कहा जा रहा है कि कहीं वह भी तो अशोक गहलोत के रास्ते पर नहीं चल पड़ी हैं?

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वसुंधरा की मुश्किलें कम नहीं

लेकिन सवाल यहां ये है कि क्या वसुंधरा राजे बीजेपी आलाकमान को दबाव में ला पाएंगी? वसुंधरा राजे का शक्ति प्रदर्शन उनको तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा पाएगा? चूंकि, बीजेपी आलाकमान ने तीनों राज्यों में भाजपा के भीतर गुटबंदी और बगावती तेवरों को देखते हुए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में उतरने का फैसला लिया था. एमपी में शिवराज सिंह चौहान के चेहरे के साथ न जाकर और छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह के साथ न जाकर चुनाव में उतरने वाली बीजेपी ने राजस्थान में भी वसुंधरा राजे के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा. इन तीनों राज्यों में बीजेपी का पूरा कैंपेन पीएम मोदी के इर्द-गिर्द रहा. ऐसे में ये मुश्किल है कि वसुंधरा राजे के किसी दबाव के आगे बीजेपी शीर्ष नेतृत्व झुक जाए.

कैलाश चौधरी की बढ़ाई गई सुरक्षा

आज राजस्थान में भाजपा विधायक दल की बैठक होने वाली है, जिसको लेकर अटकलों का दौर जारी है. इन कयासों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जयपुर पहुंच चुके हैं और वे विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे. बता दें कि राज्य में वसुंधरा राजे के साथ बालकनाथ योगी, गजेंद्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी, अश्विनी वैष्णव के नाम सीएम पद की रेस में हैं. लेकिन इसी बीच, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. उनके दिल्ली आवास पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. सियासी गलियारों में इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कैलाश चौधरी भी आज शाम को जयपुर पहुंचने वाले हैं. ऐसे में सीएम पद की रेस में एक नाम और जुड़ गया है. फिलहाल, देखना दिलचस्प होगा है कि वसुंधरा राजे के नाम पर मुहर लगती है या फिर भाजपा चौंकाते हुए किसी नए चेहरे को राजस्थान की कमान सौंपती है.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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