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Telangana CM Revanth Reddy: कौन हैं रेवंत रेड्डी, ABVP का पूर्व छात्र नेता, जिसे कांग्रेस ने सौंपी तेलंगाना की कमान

Who is Revanth Reddy: हाल ही में संपन्न हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने केसीआर की दस साल की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर राज्य की सत्ता हासिल कर ली है. कांग्रेस ने  नतीजे आने के दो दिनों के अंदर ही अपने नए सीएम का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष रेड्डी को अपना विधायक दल का नेता और सीएम घोषित कर दिया है. तेलंगाना के नए सीएम का शपथ ग्रहण समारोह 7 दिसंबर को होगा. कांग्रेस महासचिव केसीवेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेवंत (Revanth Reddy) के नाम का ऐलान किया है. तेलंगाना में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद  रेवंत का नाम मुख्यमंत्री पद की लिस्ट में काफी आगे चल रहा था.

रेवंत रेड्डी ही वो शख़्स हैं, जो तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का चेहरा रहे थे और उनके चेहरे में पर जनता ने विश्वास भी किया है जो कि कांग्रेस की जीत से दिख भी रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ केवल रेवंत (Revanth Reddy) ही दिखते हैं, लेकिन बता दें कि रेवंत का राजनीतिक करियर काफी दिलचस्प है, क्योंकि उनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र रहते हुए ही हो गई थी और खास बात यह है कि उनकी शुरुआत ABVP से हुई थी.

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कौन है रेवंत रेड्डी?

अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में जन्में अनुमुला रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) ने राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से ही कर दी थी. उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने वाले रेड्डी उस समय एबीवीपी से जुड़े हुए थे. इसके बाद वो पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए. टीडीपी के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था, जो कि उनके राजनीतिक रसूख और जमीनी पैठ को दर्शाता है.

साल 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए. साल 2017 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वो टीआरएस उम्मीदवार से हार गए. सीएम केसीआर ने चुनाव से एक साल पहले विधानसभा भंग करके पहले ही चुनाव करवा दिया था. विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने Revanth Reddy को 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया जिसमें उन्होंने सिर्फ़ 10,919 वोटों से जीत दर्ज की, लेकिन इसके बाद से ही उनकी राजनीति पलटने लगी थी.

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रेवंत ने विपक्ष में रहकर मजबूत की राजनीति

गौरतलब है कि रेड्डी (Revanth Reddy) के पोस्टरों में उन्हें ‘टॉर्च बियरर’ के तौर पर देखा गया, मतलब वो नेता, जो अपने पूरे दल को रास्ता दिखा रहा हो. रेड्डी ने 20 में से 15 साल तक केवल और केवल विपक्ष की राजनीति की, जिसका उन्हें फायदा भी हुआ. इसके चलते वह जनता के बीच ज्यादा निकलें और जमीनी स्तर पर केसीआर के खिलाफ उबल रहा लोगों का गुस्सा उन्होंने महसूस किया. नतीजा  कहा कि 20 साल उन्हें राजनीति करते हुए हो गए हैं और पिछले 15 सालों से वो विपक्ष में हैं और इसने उन्हें जनता से जोड़ा और एक पहचान दी.

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कांग्रेस आलाकमान का मिला साथ

खास बात यह है कि रेवंत (Revanth Reddy) राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और पूरे आलाकमान के नजदीक रहे. नतीजा ये कि उन्हें पार्टी ने तेलंगाना में फ्री हैंड दिया. खास बात यह भी रही कि यहां कांग्रेस का कोई दूसरा धड़ा भी नहीं था, जिसके चलते नेतृत्व में आसानी रही और एबीवीपी से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाला एक नेता कांग्रेस में आकर तेलंगाना का सीएम बन गया.

-भारत एक्सप्रेस 

कृष्णा बाजपेई

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