विश्लेषण

PM मोदी का पैर छूने वाले जेम्स मारेप की कहानी, जानिए पापुआ न्यू गिनी भारत के लिए क्यों है खास, चीन के भीतर क्यों मची है खलबली?

प्रशांत महासागर के एक टापू पर बसे देश ‘पापुआ न्यू गिनी’ में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विशेष विमान ‘एयर इंडिया वन’ से लैंड करते हैं. विमान के बाहर पहले से पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारेप उनकी अगुवाई में तमाम आधिकारिक लाव-लश्कर और गाजे-बाजे के साथ खड़े हैं. प्रधानमंत्री के विमान से उतरते है और पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री मोदी के पहले गले लगते हैं और फिर उनके पैर छू लेते हैं. पीएम मोदी भी उनका पीठ थपथपाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं. अंतरराष्ट्रीय जगत में यह दृश्य चकित करने वाला था. बतौर राष्ट्राध्यक्ष आदर की यह मिसाल पेश करके पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारेप भारत के साथ-साथ दुनिया के लिए चर्चा का विषय बन गए.

इस घटना के बाद पापुआ न्यू गिनी और जेम्स मारेप के लिए भारत और दूसरे देशों, खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों में जानकारी लेने की होड़ सी देखी गई. गूगल सर्च इंजन में लगातार जेम्स मारेप और पापुआ न्यू गिनी को लेकर जानकारी लोग सर्च करने लगे. बहरहाल, आप आखिर तक इस लेख पढ़िए. हम आपको इसमें न सिर्फ जेम्स मारेप के बारे में विस्तार से बताएंगे, बल्कि पापुआ न्यू गिनी के अस्तित्व में आने से लेकर दुनिया में इसके कूटनीतिक महत्व और भारत के साथ रिश्तों पर भी प्रकाश डालेंगे. साथ ही यह भी बताएंगे कि कैसे इस देश में चीन के बढ़ते प्रभुत्व ने भारत के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक को बेचैन कर दिया.

पापुआ न्यू गिनी

पापुआ न्यू गिनी पहले अंग्रेजों के अधीन था. 1906 में ब्रिटेन के हाथ से इसका नियंत्रण हटकर ऑस्ट्रेलिया के पास आ गया. लेकिन, 1975 में यह देश पूरी तरह से आजाद हो गया. 95 प्रतिशत ईसाई धर्म वाले इस देश की कुल आबादी आज की तारीख में 90 लाख के करीब है. गुलामी और प्रकृति की मार के चलते यहां पर गरीब लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. तकरीबन 80 फीसदी जनता बेहद ही कम संसाधनों में अपना जीवन-यापन करती है. आईलैंड होने के चलते यह ज्वालामुखी, समुद्री तूफान और भूकंप का शिकार बनता रहा है.

कौन है जेम्स मारेप

जेम्स मारेप का जन्म पापुआ न्यू गिनी (PNG) में 24 अप्रैल 1971 को हुआ. मारेप अपने देश के बहुसंख्यक आदिवासी समुदाय ‘हुली’ से ताल्लुक रखते हैं. 2002 में इन्होंने अपने देश की राजनीति में कदम रखा. लेकिन, चुनाव में हुए भारी हिंसा के चलते इनका पहला चुनाव रद्द हो गया. 2003 के उपचुनाव में मारेप के समर्थकों पर गुंडादर्दी करने और मारपीट के आरोप लगे. तब फिर से चुनाव हार गए. कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका भी दायर की. लेकिन, याचिका खारिज हो गई. जेम्स मारेप 2007 में नेशनल एलायंस पार्टी से सांसद बनने में सफल हुए. 2008 में सिर्फ 37 साल की उम्र में शिक्षा मंत्री बन गए.

नेशनल अलायंस पार्टी को जेम्स मारेप ने 2012 में छोड़ दिया और दूसरी पार्टी पिपुल्स नेशनल कांग्रेस को जॉइन कर लिया. यहां उन्हें इसका इनाम दिया गया और वो वित्त मंत्री बना दिए गए. इस दौरान मारेप पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इस दौरान उन्होंने पिपुल्स नेशनल कांग्रेस को भी अलविदा कह दिया और पांगु पार्टी का दामन थाम लिया. हालांकि, बाद में फिर से उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी पिपुल्स नेशनल कांग्रेस को जॉइन कर लिया और पीएम पद की दावेदारी पेश कर दी.

गौरतलब है कि पीएम बनने से पहले मारेप ने वादा किया था कि वो पापुआ न्यू गिनी को 10 साल के भीतर दुनिया का सबसे अमीर अश्वेत राष्ट्र बना देंगे. बहरहाल, उनका वादा अभी पूरा होने का राह खोज रहा है.

PNG पहुंचने वाले प्रणव मुखर्जी पहले भारतीय राष्ट्रपति

पापुआ न्यू गिनी में भारत ने अपना पहला उच्चायोग 27 अप्रैल, 1996 में खोला. 2006 में पापुआ न्यू गिनी ने भी अपना दूतावास भारत में शुरू किया. दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट तब आई जब बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2016 में इस देश का दौरा किया. इस देश में भारतीय मूल के तकरीबन 3 हजार लोग रहते हैं. जो बतौर डॉक्टर, प्रोफेसर, टीचर या फिर सीए के तौर पर ज्यादातर काम करते हैं.

इस देश को भारत मेडिकल उपकरण, खाद्य-पदार्थ, साबुन, वॉशिंग पाउडर, टेक्सटाइल और मशीनरी मुहैया कराता है. जबकि, PNG (पापुआ न्यू गिनी) से कॉफी, टिंबर, सोना और कांसे जैसी चीजें भारत मंगाता है.

इंडो-पेसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते कदम और दुनिया की चिंता

पापुआ न्यू गिनी के आजाद होने के बाद किसी देश ने इसकी अहमियत को नहीं समझा. हालांकि, ताकतवर राष्ट्रों में चीन ने पहले यहां पर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और सामरिक रूप से इसे अपने अड्डे के रूप में विकसित करने की योजना बनाई. सोना और तांबे से भरपूर इस देश में चीन की नजर व्यापारिक रूप से तो थी ही, इंडो-पेसिफिक रिजन के लिए वह बहुत बड़ा सामरिक चुनौती भी बनने जा रहा था. चीन ने 1980 के बाद से कई प्रॉजेक्ट्स भी शुरू कर दिए. इसे लेकर भारत के अलावा सबसे ज्यादा बेचैनी ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी को हुई.

हालांकि, भारत और दूसरे देशों ने ‘फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड कॉ-ऑपरेशन समिट यानी FIPIC ने चीन के सामने चुनौती रख दी. FIPIC के जरिए इंडो-पेसिफिक रिजन में शामिल देशों को जोड़ा गया. इनमें प्रमुख रूप से आईलैंड देश शामिल हैं. इन देशों में फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह, समोआ, वानुआतु, नीयू, माइक्रोनेशिया, कुक द्वीप समूह, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप शामिल हैं.

चीन पापुआ न्यू गिनी से न सिर्फ इन दिशों बल्कि ऑस्ट्रेलिया के लिए भी खतरा बन सकता है. साथ ही अमेरिका भी नहीं चाहता कि दक्षिण चीन सागर के अलावा चीन की गतिविधियां इंडो-पेसिफिक रिजन में भी बढ़े और उसके लिए सिरदर्द बन जाए. चूंकि, चीन भारत का पड़ोसी और प्रतिस्पर्धी मुल्क है, लिहाजा भारत ने भी इंडो-पेसिफिक रिजन में उसकी मौजूदगी को चैलेंज किया और FIPIC को प्रभावी बनाया गया. अब क्वॉड देश- जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका… साउथ चाइना सी के अलावा इस क्षेत्र में भी चीन को घेरने की तैयारी कर रहे हैं.

भारत की कोशिशों से चीन को झटका

न्यू पापुआ गिनी समेत तमाम आईलैंड देशों के साथ भारत मैत्री संबंध को और ज्यादा मजबूती दे रहा है. इन देशों को भारत हर तरह की बुनियादी सहायता, खासकर- मेडिकल, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिक्यॉरिटी में भारी निवेश कर रहा है. न्यू पापुआ गिनी में भारत के निवेश और बढ़ती गतिविधियों से चीन को झटका लगा है. क्योंकि, यहां भारत को अब महत्व दिया जाने लगा है. पीएम मोदी की हालिया यात्रा से भारत की स्थिति और ज्यादा मजबूत होगी.

पेसिफिक आईलैंड देशों में भारत की सौगात

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान पेसिफिक हाईलैंड के 14 देशों में भारत कई सेक्टर्स में सौगात पेश किया है. इनमें हेल्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर काफी महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत ने ऐलान किया है कि वह फिजी में 100 बेड वाला रीजनल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाएगा. वहीं, पापुआ न्यू गिनी में आईटी और साइबर सिक्यॉरिटी ट्रेनिंग हब बनेगा. इसके अलाव यहां पर जयपुर फुट कैंप लगेगा. 2 साल बाद यह कैंप बाकी आईलैंड वाले देशों में लगेगा.

अलग-अलग देशों में पांच सालों के दौरान 1 हजार सागर अमृत स्कॉलरशिप दी जाएगी. भारत इस क्षेत्र के 14 देशों की सरकारी बिल्डिगों में सोलर प्रोजेक्ट लगाएगा. पीने के पानी के लिए डीसैलिनेशन यूनिट लगाए जाएंगे. इसके अलावा सी-एंबुलेंस, डायलिसिस मशीन, योग केंद्र और जन-औषधि केंद्र बनाए जाएंगे.

वैश्विक परिदृश्य में भारत एक सामरिक धुरी बन चुका है. ऐसे वक्त में जब चीन लोकतांत्रिक राष्ट्रों के लिए एक बड़ा ख़तरा बना हुआ है, तब पड़ोसी राष्ट्र होने के नाते अपने निजी वजूद को सुरक्षित रखने के लिए भारत की भूमिका और ज्यादा व्यापाक हो जाती है. उसी क्रम में क्वॉड देशों के साथ सामंजस्य और इंडो-पेसिफिक रिजन में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की भूमिका एक बड़ी वजह है.

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

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