एक वेबसाइट और उसके यूट्यूब चैनल पर संसद में इतना बवाल क्यों हो रहा है? हर किसी के जहन में सवाल आ रहा है कि न्यूज़क्लिक का मुद्दा आखिर है क्या? आइए इस मुद्दे को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं. सबसे पहले तो यदि आप न्यूज़क्लिक के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जाते हैं तो आपको ऐसा लगेगा कि वह सरकार से खासे नाराज हैं. कुछ ऐसे पत्रकार जो सरकार के खिलाफ मुखर रूप से बोलते रहे हैं, वह भी उसके चेहरे के तौर पर आपको दिखाई देंगे. खैर इसमें कोई बुराई नहीं है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर सरकार के खिलाफ या खामियों के खिलाफ बोलने वाले बहुत से लोग मिलेंगे. बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या किसी एजेंडे के तहत यह काम किया जा रहा है?
दरअसल यह गंभीर सवाल बीजेपी ने खड़े किए हैं. इसके लिए द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया. यहां तक कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी अपने बयान में कह दिया कि चीन, कांग्रेस और न्यूज़क्लिक एक गर्भनाल का हिस्सा है. लोकसभा में सोमवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर चीन से मदद लेने का आरोप लगाया है. उन्होंने द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए न्यूज़क्लिक मीडिया संस्थान का उल्लेख किया और कहा कि संस्थान को चीन से फंडिंग हासिल होती है.
यह पहला मौका नहीं है जब चीन और कांग्रेस का कनेक्शन बीजेपी की तरफ से बताया गया हो. 2005 से 2014 के बीच जब भी कोई संकट आया कांग्रेस को चीन से पैसा मिला यह आरोप भी निशिकांत दुबे ने लगाए. अब आप जानना चाह रहे होंगे कि द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जिसके बाद न्यूज़क्लिक के बारे में इतनी चर्चा हो रही है. दरअसल द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में न्यूज़क्लिक का नाम लिया और आरोप लगाया कि यह उस वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा था, जिसे अमेरिकी करोड़पति ने नेविल रॉय सिंघम की ओर से लगातार फंडिंग हासिल हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक सिंघम कथित तौर पर चीनी सरकार से जुड़े हुए है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नई दिल्ली में कॉरपोरेट फाइलिंग के बाद पता चला कि सिंघम के नेटवर्क ने न्यूज साइट न्यूज़क्लिक को फंड किया है. आरोप यह भी लगाए गए कि पोर्टल ने इसके एवज में चीनी सरकार के मुद्दों से अपनी कवरेज को जोड़ दिया. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि न्यूज़क्लिक भारत विरोधी एजेंडे का हिस्सा है. इसके साथ कुछ पत्रकार भी जुड़े हैं. जैसा मैंने शुरुआत में ही कहा कि जो चेहरे और जो कंटेंट देखने को मिलता है, वह यह बताता है कि सरकार के खिलाफ कई बातें मुखर तौर पर यहां पर कहीं जाती हैं. इस तरह का कंटेंट कोई पहली बार नहीं है. कई बड़ी-बड़ी मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं कि वह किसी एक पार्टी को सहायता पहुंचा रहे हैं.
हाल के दिनों में हमने देखा है कि ऐसे समाचार चैनलों के खिलाफ इनकम टैक्स सर्वे की कार्यवाही भी हुई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्वे कथित कर चोरी से संबंधित है. न्यूज़क्लिक का मुद्दा एक बार फिर संसद में गूंजा है. यह एक ऐसा दौर है, जब कांग्रेस ने अपनी रणनीति में डिजिटल मीडिया और यूट्यूब चैनल पर ज्यादा फोकस किया है. कहा भी जाता है कि अगला चुनाव सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा. इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि डिजिटल मीडिया कि पहुंच अब किसी अन्य माध्यम के मुकाबले ज्यादा मजबूत दिखाई पड़ती है. यही वजह है कि मीडिया का इस्तेमाल भी अलग अलग तरीके से हो रहा है. सरकार इसकी रोकथाम के उपाय कर रही है तो विपक्ष इसको एक बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. ऐसा लगता है, न्यूज़क्लिक तो शुरुआत है, आगे आगे देखिए होता है क्या. क्योंकि कई ऐसे चेहरे हैं जो आपको इस तरह का कंटेंट बोलते और लिखते दिखाई पड़ते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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