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2005 में बिहार की सत्ता पर नीतीश कुमार काबिज हुए थे. इसके बाद से अब तक नीतीश कुमार की पार्टी ही सत्ता के केंद्र में रही है. हालांकि, 3 बार जेडीयू ने अपना सहयोगी जरूर बदला. 18 साल के शासन में 3 साल आरजेडी-कांग्रेस और 13 साल बीजेपी सत्ता की हिस्सेदार रही.

बिहार के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 6.21 लाख ओबीसी अभी सरकारी नौकरी में हैं. इनमें यादव (2.90 लाख), कुशवाहा (1.21 लाख), कुर्मी (1.17 लाख), बनिया (59 हजार) सूरजपुरी मुस्लिम (15 हजार), भांट (5100) और मलिक मुस्लिम (1552) शामिल हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के बाद अब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का ऐलान कर दिया है. नीतीश कुमार के इस दांव के बाद अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उन्होंने 2024 चुनाव के लिए लाइन क्लियर कर दी है?

बिहार कैबिनेट ने एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए मौजूदा कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पारित किया है. इसी शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में इस पर एक विधेयक लाया जाएगा.

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं. एक तरफ बीजेपी है तो दूसरी तरफ INDIA गठबंधन है. दोनों के लिए ही जातिगत जनगणना एक बड़ा मुद्दा है. विपक्ष ने जातिगत जनगणना का दांव चला है, वहीं बीजेपी हिंदुत्व और सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे है.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के एक बयान से बवाल मच गया है. उन्होंने विधानसभा में बढ़ती आबादी के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया है. उनके कहने का मतलब था कि महिलाएं पढ़-लिख लेंगी तो आबादी घटने लगेगी.

नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में सेक्स एजुकेशन को लेकर दिए अपने भाषण को लेकर कहा कि मैंने तो महिलाओं की शिक्षा की बात की थी. अगर कोई आहत हुआ है तो मैं माफी मांगता हूं. उन्होंने कहा कि हमने महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया है.

दीवाली से पहले ओपी राजभर सहित कई दलों के नेता मंत्री बन सकते हैं. माना जा रहा है कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार हो सकता है, जिसमें पिछड़ों को तवज्जो दी जाएगी और दारा सिंह के साथ ही ओपी राजभर समेत कुछ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए वोटिंग जारी है. पहले दौर की 20 विधानसभा सीटों पर 223 उम्मीदवार मैदान में हैं. एक तरफ, कांग्रेस दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है, तो दूसरी तरफ बीजेपी सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर लगा रही है.

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के चुनाव हैं और इसको लेकर प्रचार भी चरम पर है. बड़ी-बड़ी रैलियों के जरिए नेता एक-दूसरे पर हमला करने के साथ ही लोकलुभावन वादे कर रहे हैं.वहीं कौन सी पार्टी किस नेता को तरजीह दे रही है और किसे तवज्जो नहीं दी जा रही है.