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FY26 में भारत की विकास दर 6.7% पर स्थिर, विश्व बैंक ने भारत को बताया सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

विश्व बैंक ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास दर FY26 के लिए 6.7% पर बरकरार रखी है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

World Bank Report

प्रतीकात्मक फोटो (Pixabay)

विश्व बैंक ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास दर FY26 के लिए 6.7% पर बरकरार रखी है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्षेत्र में निरंतर विस्तार होने की संभावना है, जबकि सरकार की लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और कर सुधारों के जरिए व्यापार माहौल बेहतर करने की पहल विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगी.

विश्व अर्थव्यवस्था की विकास दर 2025 और 2026 में 2.7% रहने का अनुमान है, जो 2024 के समान ही है. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अगले दो वर्षों में 4% की दर से विकास होने की संभावना है. हालांकि, ये दर पिछले 25 वर्षों की तुलना में कमजोर मानी जा रही है.

भारत में निजी उपभोग और निवेश

भारत में निजी खपत (Private Consumption) में मजबूत श्रम बाजार, बढ़ते क्रेडिट और घटती महंगाई के कारण सुधार होने की उम्मीद है. हालांकि सरकारी खर्च सीमित रह सकता है. निजी निवेश बढ़ने की संभावना है, जो स्वस्थ कॉर्पोरेट बैलेंस शीट और आसान वित्तपोषण परिस्थितियों से समर्थित होगा.

आर्थिक विकास में गिरावट के संकेत

विश्व बैंक के अनुसार, भारत की विकास दर 2023-24 के 8.2% से घटकर 2024-25 में 6.5% रह सकती है. इसका कारण निवेश में गिरावट और विनिर्माण क्षेत्र की कमजोर वृद्धि बताया गया है. हालांकि, सेवा और कृषि क्षेत्र स्थिर रहे हैं, जबकि ग्रामीण आय में सुधार से निजी उपभोग स्थिर है.

दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर असर

विश्व बैंक ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र (SAR) के लिए मुख्य जोखिमों पर भी प्रकाश डाला. इन जोखिमों में व्यापार नीति में बदलाव, उच्च कमोडिटी कीमतें, सामाजिक अस्थिरता, और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं.

नीति सुधारों की आवश्यकता

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने कहा कि विकासशील देशों को नई रणनीति अपनाने की आवश्यकता है. इसमें निजी निवेश को तेज करने, व्यापार संबंधों को गहराई देने, और पूंजी, प्रतिभा और ऊर्जा का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है.

भारत में राजकोषीय घाटा घटने की संभावना

रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि भारत में राजकोषीय घाटा घटने की संभावना है, जो बढ़ते कर राजस्व के कारण संभव हो सकता है. हालांकि व्यापारिक नीति में अनिश्चितता और संरक्षणवादी नीतियों के बढ़ने का खतरा विकास को धीमा कर सकता है.


इसे भी पढ़ें- भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 6.5 प्रतिशत की गति से बढ़ेगी: IMF


-भारत एक्सप्रेस



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