Byju's के संस्थापक बायजू रवींद्रन
कभी भारत की सबसे बड़ी स्टार्ट-अप कंपनी रही Byju’s की नेट-वर्थ अब न के बराबर रह गई है. इस कंपनी के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने कहा है कि उन्होंने अपनी शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी की विकास क्षमता को बहुत अधिक आंका था, हालांकि अब इसकी ‘जीरो वैल्यू’ (Byju’s Worth Zero) है, क्योंकि यह दिवालियापन का सामना कर रही है, लेकिन इसके बचाव की उम्मीद बनी हुई है.
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन कोर्स पेश करके बायजू 21 से ज़्यादा देशों में लोकप्रिय हो गई थी. 2022 में इसका वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक बढ़ गया था, लेकिन उसके बाद बायजू को महीनों से बकाया भुगतान की मांग और कुप्रबंधन के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिसे वह नकारता रहा.
“Byju’s is worth zero today,” – founder Byju Raveendran in a press conference. pic.twitter.com/M1LbHwtTHY
— Manish Singh (@refsrc) October 17, 2024
रवींद्रन ने गुरुवार देर रात दुबई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “अब कंपनी की वर्थ जीरो है. आप किस वैल्यूएशन की बात कर रहे हैं? यह जीरो है.”
18 महीनों में अपने पहले मीडिया ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, “हमने संभावित वृद्धि का बहुत अधिक अनुमान लगाया, तथा एक साथ कई बाजारों में प्रवेश किया. ये बहुत तेजी से किया, और बहुत ज्यादा भी था.”
मैं धोखेबाज नहीं हूं..जल्द वापसी करूंगा: रवींद्रन
रवींद्रन ने पत्रकारों से कहा, “मैं धोखेबाज नहीं हूं, मैं वापसी करूंगा. Byju’s की नेटवर्थ जीरो हुई इसके लिए बड़े निवेशक जिम्मेदार हैं, उन्होंने साथ छोड़ा इसलिए हालात बिगड़े.”
अगस्त में दिवालिया घोषित कर दी गई थी बायजू
अगस्त में अमेरिकी कर्जदाताओं द्वारा कंपनी द्वारा उधार ली गई 1 बिलियन डॉलर की राशि के दुरुपयोग के बारे में सुप्रीम कोर्ट में शिकायत किए जाने के बाद बायजू दिवालिया हो गई थी. हालांकि, गुरुवार को रवींद्रन ने सभी गलत कामों के आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा, “जो भी हो, मैं समाधान ढूंढ लूंगा.”
कर्जदाताओं के विरोध का करना पड़ रहा सामना
Glas Trust, जो विरोध करने वाले कर्जदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक बायजू के साथ विवाद में ग्लास की शिकायतों पर फैसला नहीं सुनाया है.
एक समय में बायजू वैश्विक निवेशकों की पसंदीदा कंपनी बन गई थी, जिसे जनरल अटलांटिक जैसी कंपनियों से फंड मिला था.
कुप्रबंधन और वित्तीय खुलासों में देरी पर हुई आलोचना
हाल के महीनों में इसे अनेक असफलताओं का सामना करना पड़ा है, जिसमें बोर्डरूम से बाहर निकलना, वित्तीय खुलासों में देरी को लेकर आलोचना, तथा कुप्रबंधन को लेकर विदेशी निवेशकों के साथ विवाद शामिल हैं.
– भारत एक्सप्रेस