अवामी इत्तेहाद पार्टी (Awami Ittehad Party – AIP) के अध्यक्ष और बारामुला से सांसद शेख अब्दुल राशिद (Sheikh Abdul Rashid) उर्फ इंजीनियर राशिद (Engineer Rashid) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के मुख्यधारा के सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे तब तक सरकार गठन का दावा न करें, जब तक राज्य का दर्जा (Statehood) बहाल नहीं हो जाता.
राशिद 12 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत पर हैं और अगले दिन उनके तिहाड़ वापस लौटने की उम्मीद है. वह टेरर फंडिंग (Terror Funding) मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे. उन्हें 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
श्रीनगर में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में इंजीनियर राशिद ने बीते सोमवार (7 अक्टूबर) को कहा, ‘कल (मंगलवार) की मतगणना के बाद चाहे किसी भी राजनीतिक दल या राजनीतिक दलों के समूह को बहुमत मिले, मैं नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (People’s Demecratic Party – PDP), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी समेत मुख्यधारा के सभी राजनीतिक दलों से अपील करूंगा कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठें और उन लोगों के व्यापक हित में एकजुट हों जिन्होंने उन्हें वोट दिया है.’
राशिद ने कहा, ‘उमर अब्दुल्ला ने खुद कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में निर्वाचित सरकार के पास नगर निगम से भी कम शक्तियां होंगी. मैं अपनी पार्टी का पूरा समर्थन उन्हें देता हूं, बशर्ते वे एकजुट हों और जम्मू-कश्मीर में तब तक सरकार न बनाने का फैसला करें, जब तक कि राज्य का दर्जा बहाल न हो जाए.’
उन्होंने कहा, ‘जब जम्मू और घाटी दोनों के निर्वाचित प्रतिनिधि दिल्ली (Union Govt) पर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव डालेंगे, तो उनके पास कोई और विकल्प नहीं होगा. मोदी जी ने पहले ही लक्ष्य बदल दिया है और अब हमारी बारी है कि हम एकजुट होकर यह सुनिश्चित करें कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाए.’
सांसद ने कहा कि अखिल भारतीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस (Congress) की अपनी मजबूरियां हैं. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने यहां से वोट लिए, लेकिन अनुच्छेद 370 (Article 370) पर चुप रहे.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे पहली बार दिल्ली में कश्मीर हाउस (Kashmir House) जाने का मौका मिला. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद कश्मीर हाउस की मुख्य इमारत लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को दे दी गई है. लद्दाख के लोग हमारे भाई हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर की आबादी करीब 2 करोड़ है, जबकि लद्दाख की दो से तीन लाख है. कश्मीर हाउस की मुख्य इमारत लद्दाख को देने का यह फैसला कैसे उचित ठहराया जा सकता है.’
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राशिद ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की अपनी सीमाएं हैं. कांग्रेस ने कश्मीर में वोट तो लिए लेकिन (अनुच्छेद) 370 पर चुप रही.’ पिछले महीने विधानसभा चुनाव का प्रचार करने के लिए जमानत पर रिहा हुए राशिद ने कहा, ‘पांच साल तक गुपकार गठबंधन (Gupkar Alliance) और तथाकथित क्षेत्रीय दलों ने कुछ नहीं किया. अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं तो मैं विनम्रतापूर्वक इंडिया गठबंधन, PDP, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अपनी पार्टी (Apni Party) और अन्य से एकजुट होने का अनुरोध करता हूं.’
राशिद की एआईपी ने जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में से 34 पर चुनाव लड़ा, जिनमें से अधिकतर कश्मीर में थीं. अपने अभियान के दौरान उन्होंने सभी पार्टियों पर निशाना साधा और कहा कि उनकी लड़ाई ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए’ है, न कि सत्ता के लिए.
मालूम हो कि एग्जिट पोल भी संकेत दे रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी पार्टी या गठबंधन को साधारण बहुमत नहीं मिल सकता है, लेकिन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) द्वारा विधानसभा में मनोनीत किए जाने वाले 5 सदस्यों को लेकर असमंजस की स्थिति ने पार्टियों को चिंतित कर दिया है. जबकि अधिकांश पार्टियों ने कहा है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ के बिना नामांकन नहीं करना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 निर्वाचित सदस्यों के अलावा पांच सदस्यों को मनोनीत करने के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अधिकार ने इस केंद्र शासित प्रदेश में उथल-पुथल मचा दी है, क्योंकि इससे विधानसभा सदस्यों की संख्या 95 हो जाएगी और प्रभावी बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा.
विधानसभा चुनावों के नतीजे आज (मंगलवार) घोषित किए जाएंगे और इस कदम के समय पर राजनीतिक दलों, खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं, जो सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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