शव यात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ क्यों बोलते हैं? यहां जाने इसका महत्त्व
भारतीय अभिनेता रणवीर सिंह ने कहा है कि मैं बचपन से ही एंटरटेनर रहा हूं और दर्शक ही मेरा मेरे मोटिवेटर है। मैं अपनी फिल्मों से दुःखों से भरी दुनिया में लोगों को खुशी बांटता हूं। सऊदी अरब के जेद्दा शहर में आयोजित तीसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की शुरुआत रणवीर सिंह के संवाद से हुई। उद्घाटन समारोह में हालीवुड की मशहूर अभिनेत्री शैरोन स्टोन और फेस्टिवल प्रमुख मोहम्मद अल तुर्की ने रणबीर सिंह को सम्मानित किया। शैरोन स्टोन ने उनके बारे में लिखित वक्तव्य पढ़ते हुए कहा कि वे एक ऐसे आलराउंडर कलाकार है जिन्होंने अपने अभिनय से सिनेमा में नए नए प्रयोग किए है।
दर्शकों से संवाद करते हुए रणवीर सिंह
ने कहा कि मेरी पत्नी दीपिका पादुकोण मेरी टीचर है। वह मुझसे बड़ी कलाकार हैं पर घर में वह अपना स्टारडम नहीं लाती। मैं आज भी उससे अभिनय की बारीकियां सीखता हूं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे दीपिका जैसी पत्नी मिली है।
उन्होंने कहा कि जीवन एक यात्रा है और इसमें उतार चढ़ाव तो लगा ही रहता है। एक फिल्म के हिट या फ्लॉप होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मसलन जब मनीष शर्मा की फिल्म ‘ बैंड बाजा बारात ‘ (2010) रीलीज हुई और हिट हो गई तो रातोंरात मैं स्टार बन चुका था। 72 घंटों में मेरी दुनिया बदल चुकी थी। मुझे लगने लगा कि मुझसे ज्यादा अभिनय के बारे में और कोई नहीं जानता। पर जल्दी ही मेरा भ्रम टूट गया जब मैं अपने सीनियर अभिनेताओं से मिला। मुझे अहसास हुआ कि मैं अभी कुछ भी नहीं जानता।
उन्होंने कहा कि उन्हें नाम और शोहरत तो खूब मिली पर जो खुशी कबीर खान की ‘ 83’ में कपिल देव की भूमिका निभा कर मिली वह अभी तक याद है। इसी रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के पहले साल यह फिल्म फेस्टिवल की क्लोजिंग फिल्म थी और कपिल देव के साथ रेड कारपेट पर चलते हुए जो खुशी मिली उसे मैं कभी भूल नहीं सकता। यह अकेली ऐसी फिल्म है जिसे मैंने कई बार देखा और बार बार देखता हूं। उन्होंने कहा कि कबीर खान का शुक्रिया मुझे कपिल देव की भूमिका में कास्ट करने के लिए।
उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा में सन् 2000 और 2010 टर्निंग प्वाइंट रहे हैं। हीरो और अभिनेता की परिभाषा बदल रही थी। अब एक ही अभिनेता को रोमांस, ऐक्शन, कामेडी – ट्रेजेडी, सबकुछ करना था। सिनेमा में हमारे लिए यह नई चुनौती थी जिसका सामना हमें करना पड़ा। हिंदी सिनेमा को अब एक संपूर्ण अभिनेता चाहिए था। हालांकि मुझसे पहले गोविंदा, अक्षय कुमार और अजय देवगन ने इसकी शुरुआत कर दी थी। मैं जब बड़ा हो रहा था तो अमिताभ बच्चन और बाद में शाहरुख खान मेरे आदर्श थे। मैं आज भी उनसे सीखता हूं। इतनी सफल फिल्में करने के बाद भी जब मैं अपने सीनियर कलाकारों की ओर देखता हूं तो लगता है कि मैंने अभी कुछ खास नहीं किया। मैं अभी भी सिनेमा का एक स्टूडेंट हूं। मुझे लगता है कि ऐक्टिंग अपने भीतर की एक खोज है – सेल्फ एक्सप्लोरेशन। जब सालों बाद मैं अपनी पुरानी फिल्मों को देखता हूं तो मैं खुद को ही नहीं पहचान पाता। मैं समझता हूं कि यहीं मेरी विक्ट्री है। चाहे ‘ लूटेरा’ हो या ‘रामलीला ‘ , ‘दिल धड़कने दो’ हो या ‘ गली बाय ‘ , ‘ बाजीराव मस्तानी ‘ हो या ‘ पद्मावत ‘ या फिर रोहित शेट्टी की ‘ सिंबा। ‘
उन्होंने कहा कि सिंबा वापस आ रहा है। अभी-अभी रोहित शेट्टी की फिल्म ‘ सिंघम 3’ की शूटिंग करके लौटा हूं। अजय देवगन और रोहित शेट्टी के साथ शूटिंग में इंप्रोवाइज डायलॉग का मजा ही कुछ और है। रोहित शेट्टी अलग किस्म के डायरेक्टर हैं।
करण जौहर की फिल्म ‘ राकी और रानी की प्रेम कहानी ‘ में राकी रंधावा की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर रणबीर ने कहा कि इस चरित्र को लोगों ने खूब प्यार दिया। ऐसे चरित्रों की चुनौती यह होती हैं कि डायरेक्टर ने कागज पर जैसा लिखा है और मन में जैसा सोचा है वैसा ही अभिनय में उतरना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्म के रिलीज के दूसरे हफ्ते में रात 11 बजे का शो देखने मैं मुंबई के एक थियेटर में गया। मैं चुपचाप दर्शकों के साथ अंधेरे कोने में बैठ गया। फिल्म के हर महत्वपूर्ण दृश्य पर दर्शको की प्रतिक्रियाएं देख मैं हैरान रह गया। मेरे बगल की सीट पर एक जवान लड़की अपनी मां के साथ फिल्म देख रही थी। मैंने देखा वे कई दृश्यों पर रो रहीं थीं, दोनों मां बेटी एक दूसरे का आंसू पोंछ रही थी और हाथ पकड़ कर सांत्वना दे रही थी। यहीं हमारे भारतीय सिनेमा की ताकत है। यही स्पेशल फीलिंग हमें एक दूसरे से जोड़ता है।
उन्होंने अपने निर्देशकों के बारे में बात करते हुए कहा कि वे सबसे ज्यादा संजय लीला भंसाली के शुक्रगुजार हैं। उनकी फिल्म ‘ रामलीला ‘ के दौरान ही पहली बार दीपिका पादुकोण से उनकी मुलाकात हुई थी और बाद में प्यार और शादी हुई। उन्होंने कहा कि संजय लीला भंसाली ने सबसे पहले तो उन्हें निराकार ( ब्लैंक) और फार्मलेस बनाया, पहले से जो कुछ मेरे भीतर था उसे खाली किया और मैं कोरे स्लेट की तरह, गीली मिट्टी की तरह हो गया। फिर उन्होंने मुझमें चरित्र गढ़े। उन्होंने अभिनय के अनंत आसमान में मेरी रचनात्मकता को विस्तार दिया।
उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया में अधिकतर लोग दुखी है, परेशान हैं। एक कलाकार के रूप में मेरा काम है कि उन्हें दुःख से हटाकर हंसी की ओर लाना। उन्हें अपनी कला दिखाकर खुशी देना मेरा काम है। यदि आप लोगों के दिल का बोझ हल्का करेंगे तो दुआएं कमाओगे। मैं यहीं कर रहा हूं।
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