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CBFC में चल रहा है भ्रष्टाचार का खेल! तमिल एक्टर विशाल को ‘मार्क एंटनी’ के लिए देने पड़े 6.5 लाख रुपये, कहा-सबूत भी है

Vishal Instagram Video: एक्टर विशाल की फिल्म मार्क एंटनी हाल ही में रिलीज हुई थी. फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. अब एक्टर ने दावा किया है कि उन्होंने फिल्म के हिंदी संस्करण की रिलीज से पहले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC ) से सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए 6.5 लाख की रिश्वत दी थी. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास सभी सबूत हैं. मार्क एंटनी का हिंदी वर्जन 28 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुआ है.

सीबीएफसी कार्यालय में जो हुआ उससे हम स्तब्ध रह गए: विशाल

बता दें कि एक्टर ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है. वीडियो की शुरुआत में विशाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह वीडियो कोई प्रमोशनल वीडियो नहीं है, लेकिन यह मार्क एंटनी के बारे में है. महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे और पीएम मोदी को संबोधित करते हुए, विशाल ने कहा, “हमने सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था और कुछ तकनीकी समस्या के कारण हमें अंतिम समय में आना पड़ा. लेकिन, मुंबई में सीबीएफसी कार्यालय में जो हुआ उससे हम स्तब्ध रह गए. जब हमनें कार्यालय का दौरा किया, हमें 6.5 लाख देने को कहा गया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें सीबीएफसी में होने वाली स्क्रीनिंग के लिए 3 लाख और सर्टिफिकेट पाने के लिए 3.5 लाख देने थे.” इसके बाद उन्होंने उस महिला का नाम लिया जिसने कथित तौर पर लेनदेन किया था. उन्होंने यह भी दावा किया कि महिला ने उन्हें बताया कि यह आम बात है कि रिलीज की तारीख से 15 दिन पहले लोग 4 लाख का भुगतान करते हैं.

यह भी पढ़ें: Odisha Vidhan Sabha: सदन में स्पीकर पर BJP के विधायकों ने फेंकी दाल, हो गई ये कार्रवाई

सोशल मीडिया पर विशाल ने शेयर किए वीडियो

विशाल ने कहा, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने दो किस्तों में पैसे का भुगतान किया. अगर सरकारी कार्यालयों में ऐसा होता है तो मैं उच्च अधिकारियों से इस मामले को देखने का अनुरोध करता हूं.” विशाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ”भ्रष्टाचार को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया जाना ठीक है. लेकिन असल जिंदगी में नहीं. हजम नहीं हो रहा. खासकर सरकारी दफ्तरों में. और CBFC मुंबई कार्यालय में तो और भी बुरा हो रहा है. मेरी फिल्म मार्क एंटनी की हिंदी संस्करण के लिए 6.5 लाख का भुगतान करना पड़ा.”

उन्होंने यह भी लिखा, “मेरे करियर में कभी भी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. इसे महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री और मेरे माननीय प्रधानमंत्री के ध्यान में ला रहा हूं. मेरी मेहनत की कमाई भ्रष्टाचार में चली गई??? कोई रास्ता नहीं. सबके सुनने के लिए सबूत उपलब्ध हैं. आशा है कि हमेशा की तरह सच्चाई कायम रहेगी.”

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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