World AIDS Day 2024: आज के समय में एड्स एक गंभीर बीमारी बन गई है, जिसके आकड़े दुनियाभर में लगातार तेजी से बढ़ती ही जा रही हैं. इस बीमारी का अभी तक सही इलाज नहीं मिल पाया है. जिसकी वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है. इसी बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को दुनियाभर में वर्ल्ड एड्स डे मनाया जा जाता है.
इतना ही नहीं एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में लोगों को बताने में हिंदी सिनेमा ने भी अपना खास योगदान दिया है. समय-समय पर निर्देशक फिल्मों के जरिए दर्शकों को एड्स के बारे में जागरूक करते रहे हैं. फिल्मों का काम केवल रोमांस, एक्शन और ड्रामा नहीं बल्कि समय-समय पर उन समस्याओं पर भी प्रकाश डालना है, जो समाज में घट रही हैं. तो आइए जानते हैं वर्ल्ड एड्स डे पर उन्हीं फिल्मों के बारे में..
‘प्यार में कभी कभी’ साल 1999 में रिलीज हुई थी. फिल्म भले ही पूरी तरह से एड्स पर नहीं थी, लेकिन कहानी में शानदार तरीके से एड्स की समस्या को दिखाया गया है. दरअसल, फिल्म के नायक को ही एड्स हो जाता है और पूरी कहानी एक अलग दिशा में मुड़ जाती है. फिल्म में डिनो मोरिया के साथ लीड रोल में रिंकी खन्ना और संजय सूरी हैं.
सलमान खान, शिल्पा शेट्टी और अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म ‘फिर मिलेंगे’ साल 2004 में रिलीज हुई थी. फिल्म का विषय वास्तव में शानदार कहा जा सकता है. रेवती मेनन के निर्देशन में बनी फिल्म में एड्स को न केवल एक समस्या के रूप में बल्कि उससे लड़ने, जागरूकता और समाज के योगदान को शानदार अंदाज में दिखाया गया.
साल 2005 में रिलीज ‘माई ब्रदर निखिल’ एड्स पर बनी फिल्म है. इममें लीड रोल अभिनेत्री जूही चावला के साथ संजय सूरी और पुराब कोहली ने प्ले किया था. फिल्म का निर्देशन ओनिर ने किया है.
यह फिल्म साल 2000 में आई थी. इस फिल्म का निर्देशन दिग्गज निर्देशक और कलाकार महेश मांजरेकर ने किया था. फिल्म में शिवाजी सतमस,रीमा लागो और निशा बैंस मुख्य भूमिका में थे. फिल्म की कहानी ऐसी लड़के की है, रक्तदान के दौरान एड्स का शिकार हो जाता है. इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया गया था. फिल्म की शानदार कहानी को देखते हुए निदान को कुछ समय बाद टैक्स फ्री कर दिया गया.
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इस फिल्म का निर्देशन श्रीधर रंगायन ने किया है. यह फिल्म साल 2007 में आई थी. यह फिल्म एक एचआईवी परामर्शदाता और उनके पांच मिर्जियों पर आधारित है. यह फिल्म भले ही बॉक्स-ऑफिस पर कुछ खास कमाई न कर सकी हो, लेकिन 68 पेज को कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
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