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वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं शहरी भारतीय, जानें क्या है आंकड़ा

एक सर्वेक्षण में पता चला है कि 47 प्रतिशत शहरी भारतीय पिछले तीन वर्षों में या तो खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुआ है.

कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल स​र्कल्स (LocalCircles) द्वारा किए गए सर्वे में कहा गया है कि पिछले 3 वर्षों में वित्तीय धोखाधड़ी का सामना करने वाले शहरी भारतीयों में से 43 प्रतिशत ने अपने क्रेडिट कार्ड के साथ धोखाधड़ी का अनुभव किया, जबकि 30 प्रतिशत ने UPI लेनदेन के माध्यम से धोखाधड़ी का अनुभव किया.

इसमें कहा गया है, ‘लगभग 2 में से 1 क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के शिकार लोगों ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों और वेबसाइटों द्वारा अनधिकृत शुल्क काटने का अनुभव किया है.’

इंडियन एक्सप्रेस में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में कहा गया है कि UPI धोखाधड़ी के मामले में इसका अनुभव करने वाले 10 में से 4 लोगों ने कहा कि भुगतान एक्सेप्ट करने के लिए उन्हें भेजे गए लिंक/क्यूआर कोड के कारण उनके एकाउंट से पैसे कट गए.

अधिक सुरक्षा उपाय करने की जरूरत

अध्ययन से पता चलता है कि RBI, UPI और Credit Card जारी करने वाले बैंकों को इस तरह की वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने में मदद करने के लिए और अधिक सुरक्षा उपाय करने की जरूरत है.

सर्वे में भारत के 302 जिलों में स्थित घरेलू उपभोक्ताओं से 23,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. इसमें शामिल 62 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 38 प्रतिशत महिलाएं थीं.

सर्वे में कहा गया है, ‘UPI और क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए उपभोक्ता जागरूकता को प्राथमिकता पर बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा सुरक्षा उपाय भी बनाए जाने चाहिए, ताकि किसी भी भारतीय क्रेडिट कार्ड पर बिना OTP के शुल्क न लगाया जा सके.’

सर्वे में कहा गया है कि UPI के लिए उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है. इन कदमों के अलावा स्थानीय पुलिस स्टेशनों को संवेदनशील बनाने की भी सख्त जरूरत है, ताकि उनके कर्मचारी लोगों को मिनटों में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए मार्गदर्शन कर सकें, जबकि मौजूदा परिदृश्य में शहरी भारत में भी अधिकांश कर्मचारी ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार को मार्गदर्शन करने में सक्षम नहीं हैं.

क्रेडिट कार्ड पर धोखाधड़ी

सर्वे में शामिल परिवार के सदस्यों ने पिछले 3 वर्षों में विभिन्न प्रकार के वित्तीय धोखाधड़ी वाले लेन-देन का अनुभव किया है, इसका उत्तर देने वाले 7,409 लोगों में से कुछ ने एक से अधिक विकल्प बताए, जिनमें से 43 प्रतिशत ने ‘क्रेडिट कार्ड पर धोखाधड़ी वाले लेन-देन’ का संकेत दिया.


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इसके अलावा 36 प्रतिशत ने ‘धोखाधड़ी वाले यूपीआई लेन-देन’ का संकेत दिया, 13 प्रतिशत ने ‘डेबिट कार्ड पर धोखाधड़ी वाले लेन-देन’ को स्वीकार किया, 19 प्रतिशत ने ‘बैंक खातों पर धोखाधड़ी वाले लेन-देन’, 6 प्रतिशत ने ‘ATM कार्ड पर धोखाधड़ी वाले लेन-देन’ का संकेत दिया, 30 प्रतिशत ने ‘अन्य प्रकार के धोखाधड़ी वाले वित्तीय लेन-देन’ का उल्लेख किया और 9 प्रतिशत लोगों ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया.

भारतीयों का डेटा बिक्री के लिए उपलब्ध

लोकल सर्किल्स ने कहा कि भारतीय यूजर का क्रेडिट कार्ड डेटा भारत भर में हजारों डेटा विक्रेताओं द्वारा बिक्री के लिए आसानी से उपलब्ध है. पैन कार्ड, आधार, मोबाइल नंबर, ईमेल और पता जैसी व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी बिक्री के लिए डेटाबेस में आसानी से उपलब्ध है और क्रेडिट कार्ड विवरण मोबाइल नंबर, ईमेल या पते के साथ उपलब्ध हैं, स्प्रेडशीट के बारे में जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति इन डेटाबेस में शामिल होकर व्यक्तियों की प्रोफाइल बना सकता है.

इसमें कहा गया है, ‘पब्लिक डोमेन में उपलब्ध ऐसे डेटासेट क्रेडिट कार्ड धारकों को धोखाधड़ी के लिए बेहद असुरक्षित बनाते हैं, क्योंकि यूजर द्वारा अपने क्रेडिट कार्ड को अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की अनुमति देने के लिए सेट किए जाने के बाद कई अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट/ऐप को भारतीय क्रेडिट कार्ड पर शुल्क लगाने से पहले OTP ऑथेंटिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है.’

सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले 3 वर्षों में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का सामना करने वाले शहरी भारतीय घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग दो में से एक ने घरेलू या अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों/वेबसाइटों द्वारा अनधिकृत शुल्क लगाने का अनुभव किया है.

अनधिकृत शुल्क

क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी पर इसमें कहा गया कि 53 प्रतिशत ने ‘अज्ञात अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों/वेबसाइटों द्वारा लगाए गए अनधिकृत शुल्क’ का उल्लेख किया. 53 प्रतिशत ने कहा कि ‘जिन घरेलू व्यापारियों/वेबसाइटों के साथ हम लेन-देन करते हैं, वे अनधिकृत शुल्क लगाते हैं’, 41 प्रतिशत ने संकेत दिया कि ‘अज्ञात घरेलू व्यापारियों/वेबसाइटों द्वारा अनधिकृत शुल्क लगाया जाता है’ और 34 प्रतिशत ने ‘ऊपर सूचीबद्ध के अलावा धोखाधड़ी वाले लेनदेन’ का उल्लेख किया.

पिछले 3 वर्षों में UPI धोखाधड़ी का सामना करने वाले शहरी भारतीय घरेलू उपभोक्ताओं में से 10 में से 4 ने अनुभव किया कि भुगतान स्वीकार करने के लिए उन्हें भेजे गए लिंक/क्यूआर कोड के कारण उनके खाते से पैसे कट गए.

लोकल सर्कल्स ने कहा कि कार्ड (क्रेडिट और डेबिट) धोखाधड़ी के अलावा, अन्य वित्तीय धोखाधड़ी में से अधिकांश ऑनलाइन भुगतान से जुड़ी हैं, खासकर UPI के माध्यम से.

-भारत एक्सप्रेस

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