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अब अढ़ाई दिन का झोपड़ा पर दावा, डिप्टी मेयर बोले- यह संस्कृत पाठशाला थी, नालंदा की तर्ज पर संरक्षण करे सरकार

राजस्थान के अजमेर में विश्व हिंदू परिषद के नेताओं और जैन भिक्षुओं ने ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ (Adhai Din Ka Jhopra) पर दावा किया था. इस पर अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने शहर में स्थित स्थान के संरक्षण और संवर्धन के लिए केंद्र सरकार से मांग की है.

अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने आईएएनएस से कहा, “हमने पहले भी मांग की है कि सरस्वती कंटावरण संस्कृत पाठशाला, जो एक संस्कृत विद्यालय के साथ-साथ मंदिर का भी हिस्सा थी, जिसे अतिक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा-फोड़ा गया था, उसका पुनर्निर्माण किया जाए. इस स्थान पर प्राचीन समय में मंदिरों और संस्कृत विद्यालयों के प्रमाण पाए गए थे.

जैसा कि नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय, और धार स्थित वेद पाठशाला को नुकसान पहुंचाया गया था, उसी तरह से यहां भी प्राचीन शिक्षा केंद्रों पर आक्रमण हुआ. इस स्थान पर आज भी 250 से अधिक मूर्तियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास संरक्षित हैं.”

पाठशाला एक हजार साल पुरानी

डिप्टी मेयर ने आगे कहा, “यह पाठशाला करीब एक हजार साल पुरानी है, और यहां स्वस्तिक के निशान, घंटियां, और संस्कृत में लिखे गए शिलालेख पाए गए हैं. इसके बावजूद इस स्थान पर अवैध कब्जे किए गए हैं. हम पहले भी मांग कर चुके हैं कि इस संस्कृत पाठशाला से अवैध कब्जे हटाए जाएं, और जो अनैतिक गतिविधियां हो रही हैं, उन्हें रोका जाए. हम चाहते हैं कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसे अपने कब्जे में लेकर संरक्षित और संवर्धित करे, जैसे नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया गया है.”

उन्होंने कहा, “हाल ही में हमारे जैन संतों ने भी इस स्थल का दौरा किया और यह महसूस किया कि यहां जैन मंदिर भी था, क्योंकि यहां जैन मूर्तियां पाई गई हैं. वे मानते हैं कि यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र था, बल्कि यहां संस्कृत शिक्षा भी चलती थी. यह स्थल कई ऐतिहासिक पुस्तकों में भी उल्लिखित है.”

इस स्थान के संरक्षण और संवर्धन हो

नीरज जैन ने ये भी कहा, “मैं केंद्र और राज्य सरकार से मांग करता हूं कि इस स्थान के संरक्षण और संवर्धन के लिए कदम उठाए जाएं और उसके प्राचीन वैभव को लौटाया जाए. साथ ही, जो भी अवैध कब्जे यहां किए जा रहे हैं, उन्हें समाप्त किया जाए और कोई धार्मिक या अनैतिक गतिविधि न होने पाए. यह कार्य पुरातत्व विभाग और स्थानीय प्रशासन का है कि वह इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए.”

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

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