Bihar News: बिहार के जमुई जिले में जंगलों से भरा एक बड़ा क्षेत्र हैं. इस जंगल के आस-पास रहने वाले लोगों का मानना है कि ये जंगल तमाम रहस्यों से भरा हुआ है. इसी तरह यहां पर एक गुफा है जिसको लेकर कहा जाता है कि इसका रास्ता पाताल की ओर जाता है. इस गुफा की दीवारों पर ऐसी आकृतियां बनी हैं, जिन्हें आज तक कोई समझ नहीं पाया. यहां के लोगों का कहना है कि जो भी इस गुफा में गया वह कभी वापस नहीं लौटा. इसी के साथ ही इस गुफा का कनेक्शन दैवीय शक्ति से भी जोड़ते हैं. इस गुफा को लेकर तमाम कहानियां प्रचलित हैं. इस गुफा को लोगों ने डर की वजह से एक बड़े पत्थर से बंद कर दिया है. ताकि भूल कर भी कोई मवेशी या कोई व्यक्ति इसकी ओर न जाए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गुफा के आस-पास एक आदिवासियों की बस्ती है. जहां पर करीब 15 आदिवासी परिवार रहते हैं जो कि इस गुफा के बारे में बोलने से भी डरता है और इस को लेकर हमेशा डरे-सहमे से रहते हैं. यही नहीं इस गुफा के बारे में किसी को बताने से भी डरते हैं. इसके अलावा मवेशियों को चराने के लिए भी इस गुफा के आस-पास भी कोई नहीं जाता. अगर गलती से कोई मेवेशी गुफा के आस-पास भी चला जाता है तो फिर उसे लेने के लिए कोई नहीं जाता. अगर मवेशी खुद से वापस आ जाए तो ठीक नहीं तो उसे छोड़ दिया जाता है.
आदिवासी लोगों ने मीडिया को इस गुफा के बारे में बताया कि इसके अंदर घनघोर अंधेरा था और इतनी गहरी सुरंग थी कि इसे देखने से ही डर लगता था. यही वजह रही कि यहां के लोगों ने मिलकर इस गुफा का द्वार बंद कर दिया है. पत्थर और मिट्टी से इसके द्वार को भर दिया गया है. हालांकि यह गुफा जिस जंगल में है उसका प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही मनोहारी है लेकिन इसको लेकर लोगों में इतना भय है कि लोग इसके आस-पास भी नहीं जाते तो वहीं इस गुफा को लेकर तमाम कहानियां लोगों को सुनाई देती है.
इस गुफा की कहानी को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल एक खबर में स्थानीय लोगों का बयान भी सामने आया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गुफा में जो भी गया, वह कभी बाहर नहीं निकल सका. स्थानीय लोगों का दावा है कि कई साल पहले पालकी पर सवार होकर एक दुल्हन, उसका दूल्हा और करीब 15 की संख्या में वरयात्री जा रहे थे. शाम हो गई थी और बारिश होने के कारण लोग इसी गुफा में जाकर बैट गए थे लेकिन कुछ ही देर में दुल्हन गायब हो गई और फिर दूल्हा गायब हो गया था फिर पूरी बारात ही गायब हो गई थी. लोगों का दावा है कि जब इसकी जानकारी यहां के लोगों को हुई तो गुफा का द्वार बंद कर दिया गया. इसी के साथ ही लोगों ने घटना को ध्यान में रखते हुए गुफा की दीवार पर दूल्हा, दुल्हन, पालकी और उनके बाराती के चित्र बना दिए जो कि अभी भी बने हुए हैं और इन चित्रों का नाम “कोहबर” रखा गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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