Bilkis Bano case: गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के संबंध में सरकार के आचरण के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए समीक्षा याचिका दायर की.
बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और 14 लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली थी जिसे अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने रद्द कर दिया था और इन्हें रिहा कर दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को समय से पहले रिहा करने के अगस्त 2022 में लिए गए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था. शीर्ष अदालत के समक्ष ग्यारह दोषियों (प्रतिवादियों) को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था.
2002 में का है मामला
गुजरात में साल 2002 में गोधरा कांड के दंगों के दौरान बिसकिस बानो के सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के 7 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस मामले में कोर्ट ने 11 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को 15 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया. गुजरात सरकार की माफी नीति के अनुसार सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके खिलाफ बिलकिस बानो ने समीक्षा याचिका दायर की थी. आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया.
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