दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. कोर्ट कमिश्नर ने अदालत को बताया कि अभी भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में ग्रेप-1 और ग्रेप-2 का उल्लंघन हो रहा है. कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 8 दिन का समय दे दिया है. कोर्ट में 20 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद यह स्पष्ट है कि 18, 19 और 20 नवंबर को दिल्ली के बड़े एंट्री पॉइंट्स पर पुलिस मौजूद नहीं थी. सरकार ने जांच के लिए उड़नदस्तों को ग्राउंड पर भेजने में विफल रहा है. इसके अलावे कोर्ट ने सरकारों को पूरे साल पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बारे में बताने को कहा है.
साथ ही कोर्ट ने कृषि विशेषज्ञों का नाम सुझाने को कहा है, ताकि अगली सुनवाई में पराली जलाने के मुद्दे पर विचार किया जा सके और उसके निपटारे के उपायों के बारे में चर्चा की जा सके. कोर्ट ने कहा कि रिटायर्ड जज को शामिल करने से बेहतर होगा कि इसमेंविशेषज्ञों को जोड़ा जाए.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ग्रेप 4 को हटा दिया था. एएसजी की तरफ से पेश हुए ब्रीफ नोट में कहा गया था कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर में काफी हद तक कमी आई है और ये सुधरता जा रहा है. वहीं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की वकील ने कहा था कि प्रदूषण स्तर में लगातार सुधार हो रही है. अब प्रदूषण लेबल स्तर ग्रेप लेबल से बाहर है. वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग की वकील ने कहा था कि दिल्ली की भूगौलिक परिस्थितियों को समझना होगा. उन्होंने कहा था कि नवंबर, दिसंबर में यहां प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 से ऊपर चला जाएगा, तो एहतियात के तौर पर चरण 3 को तुरंत लागू करना होगा.
कोर्ट ने आदेश दिया था कि यदि किसी दिन AQI 400 को पार कर जाता है तो चरण 4 पुनः लागू किया जाएगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि क्या आप चाहते हैं कि मजदूर भूखे मरें? अगर बकाया पैसा नहीं दिया गया तो, हम अवमानना नोटिस जारी कर रहे हैं. ये क्या हो रहा है? जस्टिस ओका ने दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा था कि क्या केवल 90 हजार मजदूर हैं? मुख्य सचिव दिल्ली ने कहा था कि पोर्टल में 90 हजार पंजीकृत हैं. जस्टिस ओका ने कहा था कि क्या आपने यह जानने का प्रयास किया है कि क्या दिल्ली में कोई अन्य मजदूर भी हैं? अन्य निर्माण श्रमिकों का पता लगाने की कवायद कौन करेगा? श्रमिकों को कैसे पता चलेगा कि उन्हें इस पोर्टल पर पंजीकरण कराना है?
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कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए जस्टिस ओका ने कहा था कि हमें पता है सरकार यह पता लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगी कि अन्य मजदूर कौन हैं और कोई भी यह देखने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगा कि उन्हें भुगतान किया जाए. यह आपका दृष्टिकोण है. आप बस इतना कहते हैं कि किसी और ने पंजीकरण नहीं कराया है. आपने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या प्रयास किए हैं कि अन्य निर्माण श्रमिक अपना पंजीकरण करा सकें? जस्टिस ओका ने कहा था कि क्या आपने इस अदालत के आदेश के बाद लोगों से खुद को पंजीकृत करने के लिए एक भी नोटिस जारी किया है? मुख्य सचिव ने कहा था कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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