दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मुखर्जी नगर की सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को तोड़कर उसका फिर से निर्माण करने के निर्णय को बरकरार रखा है. उसे संरचना की दृष्टिकोण से रहने के लिए अनुपयुक्त पाया गया था और इसे खतरनाक घोषित किया गया था.
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने डीडीए को अपने सार्वजनिक कायरे का निर्वहन करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि उसके आवासीय टावरों के घटिया निर्माण के कारण आम नागरिकों को खतरनाक स्थिति में डाल दिया गया है. उन्होंने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के उस निर्णय को भी बरकरार रखा, जिसमें संरचनाओं को खतरनाक घोषित किया गया था. साथ ही कहा कि डीडीए के पास संरचनाओं को तोड़ने एवं उसका पुनर्निमाण करने का अधिकार है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अपार्टमेंट के निवासियों के पास सामान्य क्षेत्रों और सुविधाओं पर अधिकार है. डीडीए सामान्य क्षेत्र में 168 अतिरिक्त फ्लैट नहीं बना सकता. बढ़े हुए एफएआर का लाभ सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैटों के मालिकों को मिलेगा. उसने अपार्टमेंट में रहने वाले सभी लोगों से तीन महीने में फ्लैट खाली कर देने को कहा और डीडीए से भी जबतक उन्हें फ्लैट मुहैया कराया जाए तबतक फ्लैट का किराया दिया जाए. यह किराया एचआईजी वालों को 50 हजार रुपए प्रति महीने एवं एमआईजी फ्लैट वाले को 38 हजार रुपए प्रति महीने देने को कहा है. साथ ही किराया में सलाना 10 फीसदी की वृद्धि करने को कहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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