सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. जिसमें कहा गया है कि मामले में जिन दो प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की गई, उन्होंने अभियोजन पक्ष के बयान का समर्थन नहीं किया है. आरोपी 7 साल से अधिक समय से जेल में बंद है. जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने जमानत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को मुकदमे के नतीजे का इंतजार करते हुए अनिश्चित काल तक हिरासत में नही रखा जा सकता.
इस मामले में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य की पहले ही जांच हो चुकी है और दो प्रमुख प्रत्यक्षदर्शियों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया. इस मामले में 33 गवाहों में से केवल 13 से ही पूछताछ की गई है और मुकदमे को निपटारा होने में काफी समय लग सकता है.
वकील प्रशांत और कौसर खान याचिकाकर्ता एक रिक्शा चालक के लिए निः शुल्क पेश हुए और दलील दिया कि मामला पूरी तरह से अभियोक्ता की अपुष्ट गवाही पर निर्भर करता है. उन्होंने आगे कहा कि एफएसएल रिपोर्ट अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करती है.
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हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक ने इस आधार पर जमानत का विरोध किया कि अभियोक्ता ने शपथ पर लगातार पुष्टि किए गए बयान दिए है. साथ ही कहा कि अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो एक जोखिम है कि वह जांच को प्रभावित कर सकता है.
2 फरवरी 2017 की दिल्ली पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता सनलाइट कॉलोनी थाने में आई और कहा कि अक्टूबर 2016 में वह ट्रेन से नई दिल्ली पहुची जहां उसकी मुलाकात एक आदमी से हुई. उसने आगे आरोप लगाया कि उसके साथ कई व्यक्तियों ने यौन उत्पीड़न किया जिसमें वह आदमी भी शामिल था, जिससे वह मिली थी. पीड़िता के बयान के आधार पर धारा 376, धारा 363, धारा 366, धारा 506, धारा 328/34 आईपीसी के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जांच के दौरान दो आरोपियों को 3 फरवरी 2017 को गिरफ्तार किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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