जाली नोट और सोने की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार एक शख्स को जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नकली मुद्रा का प्रचलन देश की आर्थिक सुरक्षा पर असर डालता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जाली नोटों के प्रचलन से अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकता है.
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने अब्दुल वाहिद द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत प्रथम दृष्टया उच्च गुणवत्ता वाली नकली भारतीय मुद्रा के प्रचलन को सुविधाजनक बनाने में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं.
वाहिद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 4 मार्च, 2022 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया था. अदालत ने कहा नकली मुद्रा का प्रचलन देश की आर्थिक सुरक्षा पर असर डालता है, और इस तरह के प्रचलन से अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. जो लोग नकली मुद्रा के प्रचलन में शामिल हो सकते हैं, वे कई बैक-चैनल नेटवर्क के माध्यम से काम करते हैं, जो कई देशों में फैले हुए हैं. वे संचार के सामान्य चैनलों का उपयोग नहीं करते हैं और नकली मुद्रा को आमतौर पर बेहद गुप्त तरीके से बाजार में पेश किया जाता है.
अदालत ने कहा जाली मुद्रा से जुड़े नेटवर्क में सेंध लगाना जांच एजेंसी के लिए भी गंभीर चुनौती बन सकता है. अदालत ने कहा कि इस स्तर पर चल रहे मुकदमे में केवल दो गवाहों की जांच की गई है और 29 वर्षीय अपीलकर्ता दो साल से हिरासत में है. यूएपीए की धारा 18 के तहत निर्धारित अधिकतम सजा और मुकदमे के वर्तमान चरण को देखते हुए, यह अदालत इस स्तर पर अपीलकर्ता को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है.
पीठ ने यह भी कहा कि आरोपी का यह दावा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस मुद्रा का लेन-देन किया जा रहा था वह नकली है, उसे ट्रायल कोर्ट में स्थापित करना होगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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