दिल्ली हाईकोर्ट
पाठ्यक्रम के बाहर से सवाल पूछे जाने का आरोप लगाने वाली अभ्यार्थी की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा वह विशेषज्ञों की बुद्धिमत्ता पर संदेह नहीं कर सकता और उसके स्थान पर अपनी राय नहीं रख सकता. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि न्यायालय विषय वस्तु के विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्हें केवल विषय पर कानून और विशेष मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में इसके अनुप्रयोग के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भौतिकी खंड में एक प्रश्न ‘रेडियोधर्मिता’ पर आधारित था, जबकि ‘रेडियोधर्मिता विषय’ इस वर्ष के नीट-यूजी के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था. अदालत ने उल्लेख किया कि विशेष प्रश्न परीक्षा आयोजित करने वाली प्राधिकरण राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित विषय विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया था और उन्होंने अपनी राय दी है कि पाठ्यक्रम में ‘परमाणु और नाभिक’ अध्याय के तहत इकाई संख्या 18 में ‘नाभिक की संरचना और आकार’ और ‘परमाणु द्रव्यमान’ शामिल हैं.
अदालत ने कहा विषय विशेषज्ञों ने याचिकाकर्ता की चुनौती को नकार दिया है. इसलिए इस न्यायालय की राय है कि वह अपनी समझ को विशेषज्ञों की समझ के स्थान पर नहीं रख सकता, जो विषय की जटिलताओं और बारीकियों को बेहतर तरीके से समझने में सक्षम हैं. इस न्यायालय की राय है कि जब एनटीए के अकादमिक और विषय विशेषज्ञों ने यह राय दी है कि विवादित प्रश्न एनईईटी (यूजी)-2024 के निर्धारित पाठ्यक्रम से तैयार किया गया है, तो यह न्यायालय विशेषज्ञों की समझदारी पर संदेह नहीं कर सकता और अपनी राय को उसके स्थान पर नहीं रख सकता.
इसके अलावा उच्च न्यायालय ने दो अन्य अभ्यर्थियों की दो अलग-अलग याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि कुछ प्रश्नों के उत्तर गलत तरीके से दर्ज किए गए थे. न्यायालय ने कहा कि जहां त्रुटि स्वयं स्पष्ट नहीं है, वह विवादित प्रश्नों के सही उत्तरों का पुनर्मूल्यांकन, पुनर्विश्लेषण या पुनर्मूल्यांकन नहीं कर सकता. एनटीए ने 5 मई को 4,750 केंद्रों पर एनईईटी-यूजी 2024 परीक्षा आयोजित की थी और इसमें करीब 24 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था. परिणाम 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले पूरा हो जाने के कारण 4 जून को घोषित किए गए.
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-भारत एक्सप्रेस
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