छठे दिल्ली वित्त आयोग के गठन की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि आयोग का गठन अप्रैल 2021 में किया जाना था लेकिन दिल्ली सरकार आयोग के गठन में विफल रही है. यह याचिका विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने दायर की है.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने दोनों पक्षों को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाए. अदालत ने मामले की सुनवाई 6 नवंबर तय की है.
याचिकाकर्ता विजेन्द्र गुप्ता ने तर्क रखा कि आयोग का गठन करना इस लिए भी जरूरी है ताकि संवैधानिक प्रावधानों का पालन किया जा सके. उन्होंने कहा अन्य बातों के साथ-साथ पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने और राज्यपाल को सिफारिशें करने के लिए वित्त आयोग के गठन का प्रावधान है. इसके अलावा गठित वित्त आयोग नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की भी समीक्षा करता है और राज्यपाल को सिफारिशें करता है.
उन्होंने कहा अनुच्छेद 243 वाई (2) में आगे यह प्रावधान है कि राज्यपाल रिपोर्ट, उस पर की गई कार्रवाई के बारे में एक स्पष्टीकरण ज्ञापन के साथ राज्य विधानमंडल के समक्ष रखवाएगा. वर्तमान मामले में दिल्ली सरकार छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन करने के अपने कर्तव्य में विफल रहा है, जबकि यह अप्रैल 2021 से यानी पांचवें वित्त आयोग के कार्यकाल की समाप्ति से देय है, जिससे दिल्ली नगर निगम को राज्य के वित्त में अपने हिस्से से वंचित होना पड़ा.
उन्होंने कहा पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशें केवल मार्च 2021 तक ही लागू थीं. संसद द्वारा पारित डीएमसी (संशोधन) अधिनियम, 2022 के अनुसार तीन नागरिक निकाय/नगर निगम पूर्वी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अब दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी बन गए उपरोक्त के मद्देनजर छठे वित्त आयोग की सिफारिशों को पेश करने की आवश्यकता बढ़ गई है क्योंकि 5वां वित्त आयोग परिस्थितियों में बदलाव के कारण अब लागू नहीं है जिसने इसे अप्रचलित बना दिया है.
याची ने कहा इसके बाद दिल्ली सरकार ने कोई नई सिफारिश नहीं की थी. नतीजतन दिल्ली सरकार पहले के पांचवें डीएफसी सिफारिशों के आधार पर नगर निगम को धन उपलब्ध करा रही है. वर्तमान में, पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिश के तहत धन उपलब्ध कराया जा रहा है जो निगमों के एकीकरण के तथ्य के मद्देनजर अत्यधिक अपर्याप्त है जो पांचवें वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिश के दौरान नहीं था. यह प्रथा पूरी तरह से कानून के खिलाफ है और इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में असंवैधानिक है.
याची ने कहा आम लोगों व निगम कर्मचारियों के हित में दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल को जल्द से जल्द छठे दिल्ली वित्त आयोग के गठन का निर्देश दिया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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