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LokSabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी अपनी तैयारियों शुरू कर दी है. ऐसे में विपक्षी ने पार्टियों सत्तारूण बीजेपी को रोकने के लिए हर तरह की कोशिश करना शुरू कर दिया है. इसको लेकर कुछ विपक्षी पार्टियों ने एक नया मोर्चा तैयार किया है. जिसमें कांग्रेस पूरी तरह से अलग कर दिया गया है. दरअसल शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कोलकाता में मुलाकात की.
दोनों की मुलाकात के बाद कहा गया कि केंद्र की तीन प्रमुख विपक्षी दलों ने कांग्रेस और बीजेपी से दूरी बनाने का फैसला किया है. इस क्रम में ममता बनर्जी अगले सप्ताह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnayak) से भी मिलेंगी, जो बीजू जनता दल के प्रमुख हैं.
दरअसल, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का मानना है कि बीजेपी, राहुल गांधी को विपक्षी पार्टियों के एक समूह का प्रमुख नेता मान रही है. उन्होंने राहुल गांधी के लंदन वाले भाषण का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि बीजेपी अब राहुल से माफी की मांग कर रही है. ऐसे अन्य विपक्षी दलों को यह संदेह है कि क्या बीजेपी राहुल गांधी के साथ-साथ उन सभी को निशाना बना रही है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय (Sudip Bandyopadhyay) ने कहा है कि “राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने विदेश में टिप्पणियां कीं थी और अब बीजेपी तब तक संसद नहीं चलने देगी जब तक राहुल माफी नहीं मांग लेते. इसका सीधा मतलब है कि वे कांग्रेस का इस्तेमाल करके संसद नहीं चलाना चाहते. बीजेपी चाहती है कि राहुल गांधी, विपक्ष का चेहरा बनें ताकि इससे बीजेपी को मदद मिले. उन्होंने कहा कि अभी प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर फैसला करने की जरूरत नहीं है. साथ ही यह भी एक भ्रम है कि कांग्रेस विपक्ष की ‘बिग बॉस’ है. हम कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी रखेंगे और इस पर अन्य दलों से चर्चा करेंगे. हम यह नहीं कह रहे कि यह तीसरा मोर्चा है, लेकिन क्षेत्रीय दलों के पास भाजपा को रोकने की ताकत है.
वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि “बंगाल में, हम ममता दीदी के साथ हैं. अभी हमारा रुख है कि हम बीजेपी और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखना चाहते हैं. पूर्व विपक्षी दल के नेताओं का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग ‘बीजेपी वैक्सीन’ का लाभ उठाते हैं, उन्हें सीबीआई, ईडी या आई-टी से कोई फर्क नहीं पड़ता है. कुछ नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा मामले हटा दिए गए थे.”
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