Human Trafficking: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले से मानव तस्करी के शक में पुलिस ने 99 बच्चों को बरामद किया है. हालांकि इनमें से कईयों को पहले भी सहारनपुर भेजा जा चुका है. इस पूरे मामले को लेकर जहां एक ओर पुलिस पांच मौलवियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है तो वहीं बच्चों ने भी बड़ा खुलासा किया है. बच्चों ने बताया है कि मदरसों में पढ़ाई के नाम पर उनसे मजदूरी कराई गई और पीटा भी गया. तो वहीं कई बच्चों ने रोते हुए कहा कि मदरसे में पढ़ने वाला बच्चा कभी डाक्टर नहीं बनता है.
बता दें कि हिरासत में लिए गए मौलवी ने दावा किया है कि मदरसे में बच्चों को दीनी तालीम देने के लिए सहारनपुर ले जाया जा रहा था, लेकिन बच्चों ने पुलिस के सामने अपना अलग ही दर्द सुनाया है. 14 साल के एक बच्चे ने कहा कि वे सब मदरसे में नहीं जाना चाहते हैं. वहां तो सिर्फ धर्म की बातें होती हैं. तो वहीं दूसरे बच्चे ने कहा कि मैं डाक्टर बनना चाहता हूं. मदरसे में रहकर भला कोई कैसे डाक्टर बन सकता है.
इस घटना को लेकर बाल आयोग की टीम ने सवाल उठाया है और कहा है कि बरामद बच्चों में से अधिकत प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ते हैं. ऐसे में इन बच्चों को मदरसा क्यों भेजा जा रहा है, यह बड़ा सवाल है. तो वहीं शनिवार को राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बच्चों से मुलाकात की. इस दौरान बच्चों ने बताया कि बिहार के अररिया जिले के गांव करहरा निवासी शबे नूर उन्हें अलग-अलग मदरसों में भेजने का काम करता है. बच्चे शबे नूर को मामू कहते हैं. बच्चों ने बताया कि वह सहारनपुर के साथ ही मुंबई, दिल्ली, औरंगाबाद, हैदराबाद, बंगलूरू और आजमगढ़ के मदरसों में भी बच्चों को भेजता है, जिसके लिए उसको मोटी रकम मिलती है.
बता दें कि शुक्रवार को सहारनपुर के दारुल उलूम रफाकिया मदरसा संचालक तौसीफ और दारे अरकम के रिजवान बच्चों को बस में भरकर ले जा रहे थे. इस दौरान इसकी खबर राज्य बाल संरक्षण आयोग को मिली और उनकी पहल पर बच्चों को अयोध्या से मुक्त कराया गया. इसके बाद बच्चों को लखनऊ के मुमताल शरणालय में रखा गया है. तो वहीं बच्चों को ले जा रहे पांच मौलवियों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ करने में जुटी है.
डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने मीडिया को बताया कि कुछ बच्चों के माता-पिता अयोध्या पहुंच गए हैं और कुछ और आने वाले हैं. उनके आने पर हलफनामा लेकर बच्चों को सौंप दिया जाएगा.
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण अतुल कुमार सोनकर ने मीडिया को बताया कि बच्चों के अभिभावक बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश होंगे. इसके बाद वो जो भी शिकायत करेंगे उसी के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल इस पूरे प्रकरण को लेकर मौलवियों से पूछताछ की जा रही है. तो वहीं पुलिस ने ये भी बताया कि मदरसा संचालक हलफनामा तैयार कराते हैं, जिसकी जानकारी उनके परिजनों को नहीं होती है. इसमें लिखा होता है कि सभी तरह की जिम्मेदारी बच्चों की ही होगी. ऐसे में अगर किसी बच्चे की मौत भी होती है तो संचालक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. इस हलफनामें पर बच्चों के ही हस्ताक्षर होते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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