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Manipur Video: पीएम मोदी की चुप्पी पर I.N.D.I.A ने संसद के बाहर किया प्रदर्शन, लगाए ‘इंसाफ करो, बंटवारा मत करो’ के नारे

Manipur Violence: मणिपुर की शर्मनाक घटना को लेकर विपक्षी गठबंधन की पार्टियां (I.N.D.I.A) लगातार प्रधानमंत्री मोदी के संसद में बयान देने की मांग कर रही हैं. मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहल ‘इंडिया’ ने संसद परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन कर पीएम के बयान की मांग की. इस दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने ‘इंसाफ करो और बंटवारा मत करो के नारे लगाए’. प्रदर्शन के दौरान कई विपक्षी नेताओं के हाथ बैनर भी देखे गए, जिसमें ‘जस्टिस फॉर मणिपुर’ लिखा हुआ है.

विपक्ष के प्रदर्शन से पहले कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर के विषय पर संसद के अंदर बयान देना चाहिए, क्योंकि इस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य इसका इंतजार कर रहा है और पूरा देश उनकी ओर देख रहा है.

‘उम्मीद पीएम मोदी भागने का कोई ड्रामा नहीं करेंगे’

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यह मांग भी है कि समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए सदन में चर्चा हो. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “आज संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है. ‘इंडिया’ की मांग स्पष्ट है. मणिपुर में तीन मई के बाद के भयावह घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री को सदन में एक विस्तृत बयान देना चाहिए‌. उसके बाद हमारी पीड़ा, दुख और समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए चर्चा हो.”

पार्टी महासचिव ने आगे कहा कि, “यही उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए कोई ड्रामा नहीं करेंगे, जैसा कि वह ऐसे मौकों पर अक्सर करते हैं. इनकार करना, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना उनकी आदत है.” रमेश ने कहा, “क्या इस अवसर पर वह इनसे ऊपर उठेंगे ? मणिपुर इंतजार कर रहा है. देश देख रहा है.”

यह भी पढ़ें- Manipur Violence: भीड़ ने मकान और स्कूल में लगाई आग, फायरिंग के साथ ही फेंके बम, BSF की गाड़ी छीनने का किया प्रयास

मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा की मौत

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया. अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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