
हरियाणा के यमुनानगर में सोमवार को आयोजित एक जनसभा के दौरान एक भावुक और प्रेरणादायक क्षण देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैथल निवासी श्री रामपाल कश्यप से मुलाकात की. रामपाल कश्यप ने वर्ष 2010 में एक संकल्प लिया था कि जब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनते और वह उनसे आमने-सामने नहीं मिलते, तब तक वह जूते नहीं पहनेंगे.
इस ऐतिहासिक संकल्प की पूर्णता का पल तब आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने खुद रामपाल कश्यप को जूते पहनाए. यह दृश्य न केवल उपस्थित लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक भावनात्मक क्षण बन गया. पीएम मोदी ने इस मुलाकात की एक तस्वीर और अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा:
“आज यमुनानगर की जनसभा में कैथल के श्री रामपाल कश्यप जी से भेंट हुई. उन्होंने 14 साल पहले यह प्रण लिया था कि वे तभी चप्पल पहनेंगे जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा और उनसे भेंट होगी. ऐसे लोगों के स्नेह से मैं अभिभूत हूं. लेकिन मैं सभी से एक अनुरोध करना चाहता हूं – आपका प्रेम मेरे लिए अनमोल है… कृपया ऐसे संकल्प लें जो समाजसेवा और राष्ट्रनिर्माण से जुड़े हों.”
मोदी के हरियाणा दौरे का विशेष अवसर
यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरियाणा दौरे के दौरान हुई, जो हालिया विधानसभा और नगर निकाय चुनावों के बाद उनकी पहली यात्रा थी. इस मौके पर उन्होंने यमुनानगर में एक थर्मल पावर प्लांट की आधारशिला रखी और हिसार एयरपोर्ट का उद्घाटन करते हुए अयोध्या के लिए पहली उड़ान को रवाना किया. इसके साथ ही उन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया. भाजपा द्वारा इस दौरे की तैयारियों के लिए 5 अप्रैल को एक अहम बैठक की गई थी, जो दौरे की गंभीरता को दर्शाता है.
14 वर्षों का दृढ़ विश्वास और समर्पण
रामपाल कश्यप का यह संकल्प तब शुरू हुआ था जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी नहीं थे. 2010 में लिया गया यह प्रण 2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद भी अधूरा था, क्योंकि उनकी इच्छा थी कि वह स्वयं मोदी से मिलकर उनके हाथों जूते पहनें. बीते 14 वर्षों तक उन्होंने नंगे पांव रहकर अपने विश्वास को जीवित रखा. यमुनानगर की मुलाकात न सिर्फ उनके लिए व्यक्तिगत रूप से ऐतिहासिक रही, बल्कि यह एक नेता और जनमानस के बीच मजबूत भावनात्मक जुड़ाव का उदाहरण भी बनी.
संकल्प का सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी ने जहां रामपाल जी के समर्पण को सराहा, वहीं उन्होंने लोगों से अपील भी की कि वे इस तरह के कठिन व्यक्तिगत संकल्पों की जगह ऐसे प्रण लें जो समाज के हित में हों. उन्होंने मंच से रामपाल कश्यप को प्यार से डांटते हुए कहा, “आप खुद को इतनी तकलीफ क्यों देते हैं?”, और फिर खुद उन्हें जूते पहनाए. यह संवाद नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट में भी सामने आया.
अंबेडकर जयंती पर एक प्रेरक क्षण
अंबेडकर जयंती के अवसर पर हुई यह मुलाकात एक प्रतीकात्मक महत्व भी रखती है, जहां सामाजिक समरसता, जनसेवा और नेतृत्व की भावना एकसाथ झलकती है. यह घटना यह भी दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में न केवल विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, बल्कि आमजन से जुड़ाव को भी प्राथमिकता दे रहे हैं.
रामपाल कश्यप के लिए यह दिन जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि जैसा रहा, वहीं देशवासियों के लिए यह एक प्रेरणा बन गया कि जब कोई नागरिक अपने विश्वास में इतना अडिग रहता है, तो नेतृत्व भी उसे उसी भाव से स्वीकार करता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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