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Shanti Bhushan Dies: पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह पिछले काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने अपनी आखिरी सांस दिल्ली वाले निवास स्थान पर ली. शांति भूषण सिर्फ देश के पूर्व कानून मंत्री नहीं थे, बल्कि विधि न्याय शास्त्र और संविधान विशेषज्ञ भी उन्हें माना जाता था. कानूनी मुद्दों पर उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती थी.
प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- शांति भूषण जी लीगल फील्ड में अपने योगदान के लिए याद रखे जाएंगे. उनका पिछड़ों की आवाज उठाने वाला जुनून भी याद रखा जाएगा. उनके जाने का दर्द है. परिवार के प्रति संवेदनाए हैं. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शांति भूषण के निधन पर दुख जाहिर किया. उन्होंने लिखा कि शांति भूषण जी के निधन से स्तब्ध हूं. देश ने एक महान वकील को खो दिया है.
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शांति भूषण का नाम देश के सबसे बड़े वकीलों की लिस्ट में शुमार रहा. यहां तक कि उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ उस केस की पैरवी की थी, जिसमें उनका चुनाव शून्य हो गया था. इतना ही नहीं इस केस में मिली हार के बाद इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी. 1971 में 5वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए. इन चुनाव से पहले कांग्रेस के दो टुकड़े हो गए थे. इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को लोकसभा की 545 सीटों में से 352 सीटों पर जीत मिली. जबकि विरोधी गुट वाली कांग्रेस (ओ) को सिर्फ 16 सीटें मिलीं. इस चुनाव में ही इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था.
बता दें कि शांति भूषण साल 1977 से 1979 तक देश के कानून मंत्री रहे थे. वे मोरारजी देसाई की सरकार के समय मंत्री बनाए गए थे. इसके बाद साल 1980 में शांति भूषण की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया था. उनकी तरफ से एनजीओ (Centre for Public Interest Litigation) की शुरुआत की गई थी. उस एक एनजीओ के जरिए सुप्रीम कोर्ट तक देशहित से जुड़ीं कई याचिकाएं पहुंची थीं. इसके अलावा साल 2018 में भी शांति भूषण उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने मास्टर ऑफ रोस्टर में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
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