कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र राय
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने शिरकत की, जहां प्रधान ब्राह्मण समाज संस्था की तरफ से उन्हें सम्मानित किया. इस दौरान उन्हें भगवान परशुराम की प्रतिमा भेंट की गई. उपेंद्र राय ने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब किसी कार्यक्रम का आयोजन होता है तो उसका कोई न कोई मकसद होता है. इसी तरह चाहे एक आदमी खड़ा हो या फिर उसके पीछे दस आदमी खड़े हों. हर किसी का ये उद्देश्य होना चाहिए कि समाज कैसे बेहतर और सुंदर बने.
उन्होंने कहा, “भगवान परशुराम से हम सबका जुड़ाव है और हमारी वंश बेल वहां से आती है. भगवान परशुराम के बारे में हम नहीं बताएंगे क्योंकि यहां पर सभी पढ़े लिखे लोग हैं और उनके बारे में जानते हैं. उपेंद्र राय ने आगे कहा कि भगवान परशुराम विष्णु भगवान के छठे अवतार माने जाते हैं. अपने पिता की आज्ञा को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी मां का वध किया, लेकिन वरदान मांगने की बारी आई तो अपनी मां के जीवन को दोबारा मांग लिया.
इसलिए ब्राह्मण का जीवन है उसका एक ही उद्देश्य है. कि हमारे कर्मों से दूसरे के जीवन में सुख उतरे. हम अगर अपने कर्मों से अपने समुदाय के द्वारा समाज में थोड़ा सा भी किसी के जीवन में सुख उतार पाते हैं तो उसी का नाम पुण्य है. अगर किसी को हमारे कर्मों से दुख पहुंचता है तो वही पाप है. किसी भी समाज का एक ही उद्देश्य होना चाहिए. जैसे तुलसीदास जी ने कहा है कि ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीड़ा नहीं सम अधिकाई’.
उन्होंन भगवान गणेश और कार्तिकेय की एक कथा का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार भगवान शिव ने जब कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा ली थी तो एक सवाल पूछा था कि पाप और पुण्य की परिभाषा क्या है. जिसपर गणेश भगवान ने जवाब दिया था कि परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं और बिना वजह किसी को दुख देने से बड़ा कोई पाप नहीं.
इसलिए हम जिन बातों को लेकर आगे बढ़ते हैं उनमें महत्वपूर्ण बात एक ही है- वह हमारे अंदर का नीर-छीर विवेक और हमारी समझ. अगर हमारी समझ समाज को आगे बढ़ाने में मदद करती है यही असली मूल है. जिस दिन हमारी समझ विकसित होती है उस दिन सारे वेद-ग्रंथ,शास्त्र सब नीचे गिर जाते हैं और आप बहुत कीमती बन जाते हैं. क्योंकि जितने भी ग्रंथ लिखे गए हैं वो दूसरे के अनुभव की बातें हैं ना कि आपका ज्ञान है और न ही आपके अनुभव से गुजरा है. आपका ज्ञान वही है जिसे आपने खुद महसूस किया है.
जब जलती लालटेन को बच्चा छू लेता है जब उसे ज्ञान होता है कि जलती लालटेन या फिर दीए को हाथ से नहीं पकड़ना चाहिए. यही उसके लिए असली ज्ञान और अनुभव है. हां ये जरूर है कि ज्ञान को समझने और जानने के लिए हर चीज को आजमाकर देखने की जरूरत नहीं है. इसलिए जब य़क्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि आकाश से बड़ा क्या है तो उन्होंने जवाब दिया कि पिता, पृथ्वी से बड़ी क्या है तो उन्होंने जवाब दिया मां. तीसरा सवाल पूछा कि रास्ता क्या है तो उन्होंने जवाब दिया कि जिसपर महापुरुष चले. इसलिए हमारे लिए भी रास्ता वही है जिसपर महापुरुष चले.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास कहने के लिए तमाम बातें हैं, लेकिन उन बातों में से केवल एक बात हम अपने जीवन में अपने समाज को सुंदर बनाने के लिए और स्वयं को सुंदर बनाने के लिए कहा जाता है कि ‘दीया का पता पूछते मत रहो, खुद दीया बनकर अंधेरे में जलो.’ तो जब हम अपने को बदलते हैं तभी असली बदलाव शुरू होता है, लेकिन अक्सर हम चाहते हैं कि बदलाव सामने वाले में हो, भगत सिंह दूसरे के यहां पैदा हो, हमारा बेटा अच्छे करियर के लिए पैदा हुआ है. इसलिए यहां पर हम थोड़ी चालाकी करते हैं.
उन्होंने कहा, अगर पूरा एशिया महाद्वीप भारत के चरणों में झुकता है तो सिर्फ महात्मा बुद्ध की वजह से. अगर पूरी दुनिया भारत को जानने के लिए आती है तो भगवान श्रीकृष्ण की वजह से. इस्कॉन मंदिर दुनिया के 180 देशों में अगर फैला है तो सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण के कारण.
इकबाल अल्लामा का एक शेर है-
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा. तीन हजार सालों तक आक्रमण झेलते हुए इस देश ने अपनी हस्ती तो बनाई, लेकिन इतना जरूर है कि हमारी हस्ती को बहुत हद तक मिटा दिया गया. हमारी वो हस्ती फिर से धीरे-धीरे वापस लौट रही है उसके पीछे हमारे देश के लोगों के बीच की सहनशक्ति है.
आपको बता दें कि भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय के 25 सालों के लंबे पत्रकारीय जीवन के अनुभवों की झलक ‘न्यूज चैनल’ के जरिए देखने को मिल रही है. भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन उपेंद्र राय की कोशिश है कि दर्शकों को ‘व्यूज कम और न्यूज ज्यादा’ दिखाई जाए. न्यूज चैनल भारत एक्सप्रेस सत्य, साहस और समर्पण के संकल्प के साथ देश, दुनिया से लेकर खेल और मनोरंजन जगत की खबरें आप तक पहुंचा रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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