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Pooja Khedkar के खिलाफ UPSC ने कार्रवाई शुरू की, कहा- एआईआर के बाद कारण बताओ नोटिस जारी

पुणे में ट्रेनी आईएएस रहीं पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) पर शिकंजा कसता जा रहा हैं. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू किए जाने को लेकर एक बयान जारी किया है.

यूपीएससी ने शुक्रवार (19 जुलाई) को आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया और सिविल सेवा परीक्षा-2022 से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं से उन्हें वंचित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

UPSC ने बयान में कहा है कि सिविल सेवा परीक्षा-2022 की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार (Provisionally Recommended) पूजा खेडकर के अनुचित कृत्यों की विस्तृत और गहन जांच की है.

दिल्ली पुलिस ने दर्ज की FIR

इस जांच से पता चला है कि उन्होंने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता और अपनी पहचान बदलकर नियमों का उल्लंघन करते हुए तय सीमा से अधिक बार परीक्षा दी.

इसलिए, यूपीएससी ने पुलिस प्राधिकारियों के पास प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करके आपराधिक अभियोजन सहित उनके खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की है. इसके अलावा सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने/भविष्य की परीक्षाओं/चयनों से रोकने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

यूपीएससी की शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और जालसाजी के संबंध में मामला दर्ज किया है.

बयान में क्या कहा गया

बयान में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में यूपीएससी अपने संवैधानिक जनादेश का सख्ती से पालन करता है और बिना किसी समझौते के सभी परीक्षाओं सहित अपनी सभी प्रक्रियाओं को यथासंभव उच्चतम स्तर की तत्परता के साथ संचालित करता है. यूपीएससी ने अपनी सभी परीक्षा प्रक्रियाओं की पवित्रता और अखंडता को अत्यंत निष्पक्षता और नियमों के सख्त पालन के साथ सुनिश्चित किया है.

बयान के अनुसार, यूपीएससी ने जनता, विशेषकर अभ्यर्थियों से उच्च स्तर का विश्वास और विश्वसनीयता अर्जित की है. आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि विश्वास और विश्वसनीयता का यह उच्च स्तर बरकरार रहे और इसमें कोई समझौता न हो.

क्या है विवाद

पूजा खेडकर उस समय विवादों में घिर गई थीं, जब यह बात सामने आई कि वह जिस ऑडी कार से काम पर जाती थीं, उसमें लाल और नीले रंग का सायरन और महाराष्ट्र सरकार का चिह्न लगा रखा था. इसके अलावा एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ उनके कार्यालय के उपयोग को लेकर विवाद भी हुआ था.

प्रोबेशन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बीते 16 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि एक सिविल सेवक के रूप में उनके द्वारा कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग को लेकर विवाद चल रहा था. पूजा को मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में वापस बुला लिया गया है और उनकी ट्रेनिंग भी रोक दी गई है.

सरकार की ओर से LBSNAA को उनके प्रमाणपत्रों, दस्तावेजों, चिकित्सा और अन्य कागजात से संबंधित शिकायतों के बाद उनके व्यवहार पर विभिन्न मामलों में भेजी गई रिपोर्ट को देखते हुए लीगल एक्‍शन लिया गया है.

LBSNAA के उप-निदेशक शैलेश नवल ने राज्य सरकार से खेडकर को तत्काल कार्यमुक्त करने तथा 23 जुलाई तक मसूरी अकादमी में रिपोर्ट करने का अनुरोध किया है.

कई गंभीर आरोप हैं

यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर 821वीं रैंक हासिल करने वाली पूजा पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जमा करने और कदाचार के कई आरोप भी हैं.

विवादों के बीच महाराष्ट्र सरकार ने पिछले हफ्ते पूजा खेडकर का पुणे से वाशिम तबादला कर दिया. इस बीच केंद्र ने भी सिविल सेवा में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित करने के लिए खेडकर द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है.

उनके पिता पर भी आरोप

पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने खेडकर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, खेडकर परिवार का यह पहला मामला नहीं है. उनके पिता और पूर्व सिविल सेवक दिलीप खेडकर पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

पुणे ग्रामीण पुलिस ने बीते 18 जुलाई को पूजा खेडकर की मां मनोरमा दिलीप खेडकर को महाराष्ट्र के रायगढ़ के महाड कस्बे से हिरासत में लिया. मनोरमा करीब एक सप्ताह से लापता थीं. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह मुलशी में कुछ किसानों को कथित तौर पर उनकी जमीन हड़पने के लिए पिस्तौल से धमकाती नजर आ रही थीं.

-भारत एक्सप्रेस

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