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Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तरकाशी में फंसे सिल्क्यारा टनल हादसे में 41 मजदूरों को निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है. अब यह काम आखिरी स्टेज पर पहुंचा चुका है. सभी को उम्मीद है कि मजदूरों को जल्द ही निकाल लिया जाएगा. हालांकि अभी इस काम में 14 से 15 घंटे लगने वाले हैं, क्योंकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया कि, “यह चुनौतीपूर्ण भरा कार्य है. यह उम्मीद करना कि अगले दो घंटों में हम उन्हें निकाल लेंगे, मैं समझता हूं यह सही नहीं है क्योंकि वर्क फोर्स पर इसका दबाव पड़ता है, क्योंकि यहां पर रेस्क्यू टीम भी रिस्क पर हैं और अंदर फंसे हुए मजदूर भी रिस्क पर हैं. हमें दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा.”
ड्रिलिंग के काम के दौरान सिल्क्यारा टनल में बुधवार-गुरुवार की रात सरिया रास्ते में आ गया जिसकी वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था. हालांकि अब काम को फिर से शुरू कर दिया गया है.
बुधवार शाम से ही ड्रिलिंग के काम में बीच-बीच में रुकावट आ रही है. शाम के समय मलबे के बीच में एक स्टील का पाइप आ गया था. जिसके चलते ड्रिलिंग के काम को थोड़ी देर के रोक दिया गया और एक घंटे में उस पाइप को काटने के बाद दोबारा ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया. वहीं अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से बातचीत कर उनका हालचाल जाना और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेज गति से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में भी जानकारी दी.
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अंदर जो श्रमिक फंसे हैं उनके साथ अच्छी तरह से बातचीत हो रही है. इस काम के लिए जहां से भी हमें जो सहायता, जो विशेष सलाह सुलभ हो सकती है वो मंगाई गई है और मंगाई जा रही है. हमें पूरा सहयोग मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि जो बाधाएं आनी थीं उसे हम पार कर चुके हैं.
अगले 14-15 घंटों में हम 60 मीटर तक पार कर लेंगे, ड्रिलिंग का काम जारी है. 12 से 14 घंटे हमें वहां पहुंचने में लगेंगे. उसके बाद वहां श्रमिकों को एकत्र करके NDRF की सहायता से बाहर निकालने में 2-3 घंटे का समय लग सकता है.
वहीं IG गढ़वाल रेंज के.एस. नागन्याल ने जानकारी देते हुए बताया कि, “हमने एम्बुलेंस की सभी व्यवस्थाएं कर ली हैं. हम उन्हें(फंसे हुए श्रमिकों को) ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से घटना स्थल से अस्पताल तक ले जाएंगे. डॉक्टर की सलाह पर, यदि फंसे हुए लोग गंभीर स्थिति में हुए तो हम उन्हें एयरलिफ्ट भी कर सकते हैं. यदि उन्हें बेहतर चिकित्सा सहायता की आवश्यकता महसूस होती है, तो उन्हें ऋषिकेश एम्स ले जाया जाएगा.
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