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अध्यादेश पर आर-पार! AAP ने शिमला मीटिंग में आने के लिए रख दी शर्त, कांग्रेस को लेकर केजरीवाल का रुख बढ़ाएगा नीतीश की बेचैनी?

Aam Aadmi Party: विपक्षी दलों की महाबैठक में अधिकांश दलों के बीच सहमति बन गई है और उन्होंने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने पर जोर दिया है. सभी दलों की आम सहमति के बाद शिमला में 12 जुलाई को अगली बैठक बुलाई गई है जहां सीटों को लेकर बात होगी. वहीं आम आदमी पार्टी के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं और पार्टी का यह तेवर नीतीश कुमार की विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों के मद्देनजर झटका साबित हो सकता है. दरअसल, आम आदमी पार्टी ने अगली बैठक में शामिल होने को लेकर एक बड़ी शर्त रख दी है.

पार्टी द्वारा एक जारी बयान में AAP की तरफ से कहा गया कि केंद्र के काले अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के अलावा सभी दलों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा में इस अध्यादेश का विरोध करेंगे. लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी कांग्रेस ने इस अध्यादेश को लेकर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है.

इस बयान में AAP ने कहा कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है. यदि इसे चुनौती न दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में भी अपनाई जा सकती है. इसका नतीजा यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है. ऐसे में इस अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना है.

कांग्रेस पर आप को भरोसा नहीं

आप ने कहा कि आज पटना में समान विचारधारा वाली पार्टियों की बैठक में कई दलों ने कांग्रेस से अध्यादेश की खुले तौर पर निंदा करने का आग्रह किया लेकिन कांग्रेस ने इनकार कर दिया. ऐसे में कांग्रेस की ये चुप्पी संदेह पैदा करती है. अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस की झिझक और टीम भावना के रूप में कार्य करने से इनकार करने से आम आदमी पार्टी के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: Opposition Parties Meeting: कौन कहां से लड़ेगा- शिमला की बैठक में लगेगी मुहर! राहुल, ममता, अखिलेश एक सुर में बोले- साथ लड़ेंगे चुनाव, बीजेपी की बढ़ेगी टेंशन?

आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि जब तक कांग्रेस पार्टी सार्वजनिक तौर पर अध्यादेश का विरोध नहीं करती है और ये घोषणा नहीं करती कि उसके 31 राज्यसभा सांसद अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठक में शामिल होना मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस भी हिस्सा ले रही है.

केजरीवाल की पार्टी का कांग्रेस को लेकर तल्ख रवैया विपक्षी एकजुटता की कोशिशों के लिए झटका साबित हो सकता है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दलों की इस बैठक के अगुवा नीतीश कुमार क्या रुख अपनाते हैं और AAP और कांग्रेस के बीच कैसे सुलह करा पाते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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