सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 मार्च) को मध्य प्रदेश के एक नियम पर सवाल खड़े करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से पूछा कि दृष्टिबाधित लोगों को न्यायिक सेवाओं में शामिल होने की अनुमति क्यों नहीं? इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधित लोगों की नियुक्ति पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और इसके रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया.
बता दें कि राज्य में 1994 के नियम दृष्टिबाधित और खराब दृष्टि वाले लोगों को राज्य में न्यायिक सेवाओं में शामिल होने से रोकते हैं. ऐसे में एक अभ्यर्थी ने नियमों पर सवाल उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पत्र याचिका को जनहित याचिका में बदल दिया और हाई कोर्ट को नोटिस जारी कर पूछा कि दृष्टिबाधित लोगों को न्यायिक सेवाओं में शामिल होने से क्यों रोका गया है.कोर्ट ने इस मामले में अदालत की सहायता के लिए वकील गौरव अग्रवाल को एमिकस भी नियुक्त किया.
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-भारत एक्सप्रेस
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