दिल्ली हाई कोर्ट.
दिल्ली हाई कोर्ट ने विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश करने में दिल्ली सरकार द्वारा की जा रही देरी पर नाराजगी जताई है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या हम स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का आदेश दे सकते है? बीजेपी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जेठमलानी ने पुराने फैसलों के हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट स्पीकर को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देश जारी कर सकता है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कि आपकी इस दलील को ठीक भी मान लिया जाए तब भी कई मसले है, जिन पर विचार की जरूरत है, अभी चुनाव होने है. कई मामलों में रिपोर्ट विधानसभा में पेश होनी है और विधानसभा का सत्र भी खत्म होने के कगार पर है. कोर्ट 15 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
रिपोर्ट पेश करने में टालमटोल कर रहे हैं-कोर्ट
जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप जिस तरह से रिपोर्ट पेश करने में टालमटोल कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. आपको सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा स्पीकर के पास भेजने और विधानसभा में चर्चा करने में तत्पर होना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि हम ऐसे चरण में है कि चुनाव नजदीक है. सब विशेष सत्र कैसे हो सकता है. वही दिल्ली विधानसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है इसलिए इस कार्यकाल में रिपोर्ट पेश करने से कोई फायदा नही होगा.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा दिल्ली सरकार अपने कदम पीछे नही खींच रही है. लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है. ऐसे में क्या कोर्ट इस केस में सियासी हथियार नही बन रहा है. विधानसभा सचिवालय की ओर से यह भी कहा गया है संविधान के तहत विधानसभा की बैठक बुलाने का विशेषाधिकार स्पीकर का है और उनके आंतरिक कामकाज का हिस्सा है. जबकि याचिकाकर्ता व बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि सदन के सदस्य के तौर पर रिपोर्ट पर बहस करना हमारा अधिकार है.
याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया जाए. जिसपर कोर्ट ने कहा कि वह स्पीकर को तत्काल आदेश नही दे सकता है और अंतिम फैसला देने से पहले दोनों को सुनना जरूरी है.
सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये हुए खर्च
बता दें कि सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए थे. लागत से 342% ज्यादा रकम खर्च किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि पूर्व सीएम केजरीवाल के घर के रिनोवेशन का काम 8.62 करोड़ रुपये की निविदा पर किया जाना था. इसकी अनुमानित लागत 7.61 करोड़ तय की गई थी. शुरुआत में ही यह 13.21 प्रतिशत ज्यादा थी. जब रेनिवेशन का काम खत्म हुआ तो यह अनुमानित लागत से 342.31 प्रतिशत ज्यादा थी. यह रकम निविदा राशि से 290.49 प्रतिशत अधिक पाया गया.
कैग रिपोर्ट के मुताबिक नई शराब नीति से सरकार को 2026 करोड़ रुपये का रेवेन्यू लॉस होने की बात कही गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब नीति में काफी गड़बड़ियां थी, जिनमे लाइसेंस देने में खामी भी शामिल है. इसके साथ ही आप नेताओं को कथित तौर पर घूस के जरिए फायदा पहुचाने की बात कही गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने जो रिटेल शराब लाइसेंस छोड़े गए थे, उनके लिए फिर से टेंडर नही निकाला, जिससे 890 करोड़ रुपये के आसपास का नुकसान हुआ. इसके अलावा जोनल लाइसेंसधारियों को दी गई छूट से 941 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. हालांकि आम आदमी पार्टी कैग की इस रिपोर्ट को फर्जी बता रही है.
याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना पर जारी हुआ था नोटिस
बता दें कि यह याचिका विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने गत वर्ष याचिका दाखिल कर कहा था कि एक मामले में पारित आदेश के बावजूद स्पीकर को आगे की कार्रवाई के लिए सीएजी की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है.
कोर्ट ने 24 दिसंबर को याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना पर नोटिस जारी किया था, जिसमें स्पीकर को अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन के लिए कार्रवाई करने और सदन के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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