प्रवासी मजदूरों के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन को लेकर बड़ा सवाल किया. कोर्ट ने पूछा कि कब तक करोड़ो लोगों को मुफ्त का राशन दिया जाता रहेगा. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान रोजगार के मौके पैदा करने पर जोर दिया है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने देश के 81 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त और सब्सिडी का राशन दिए जाने पर हैरानी जताई. कोर्ट प्रवासी मजदूरों को लेकर एक एनजीओ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मुफ्त की चीजें कब तक दी जा सकती हैं. हमें स्थायी समाधान की ओर सोचने की जरूरत है. अभी तो ऐसा लग रहा है जैसे सिर्फ टैक्स चुकाने वाले लोग ही मुफ्त अनाज नहीं ले रहे हैं. समस्या यह है कि अगर हम राज्यों पर ज्यादा राशन कार्ड जारी करने का दबाव बनाएंगे, तो उसका बोझ आखिर केंद्र पर ही पड़ेगा.
कोर्ट 8 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. वही केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान और इसके बाद गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराया. हालांकि इस पर कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि इसका मतलब है कि सिर्फ टैक्सपेयर्स ही बाकी बचे हैं.
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि ई श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत मजदूरों को मुफ्त राशन मिलना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्त राशन देने के बजाए हमें इन मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम करें.
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-भारत एक्सप्रेस
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