ह़ॉलीवुड स्टार फ्लोका प्लेम से लेकर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ तक सभी वीगन डाइट को वजन कम करने के लिए फॉलो कर रहे हैं. वेगन डाइट न केवल आपको पर्यावरण के प्रति ज्यादा सहिष्णु बनाती हैं, बल्कि ये आपको स्वस्थ रखने में भी मददगार है. लेकिन आज इस आर्टिकल के द्वारा अपनी फिटनेस के बारे में खुलकर बात करेंगे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयुष समग्र स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन था. इस कार्यक्रम में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने भी शिरकत की. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में स्वस्थ जीवनशैली के गुर बताए. चंद्रचूड़ ने बताया कि एक स्वस्थ जीवनशैली न केवल न्यायाधीशों और उनके परिवारों के लिए बल्कि स्टाफ सदस्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा चंद्रचूड़ ने अपनी जीवनशैली के बारे में भी बात की.
न्यूज एजेंसी एएनआई से खास बातचीत में चीफ जस्टिस ने बताया कि मैं योग करता हूं. आज सुबह 3:30 बजे मैं योग करने के लिए उठा था. इसके अलावा, पिछले 5 महीनों से शाकाहारी खाना खा रहा हूं. मैं जीवन के एक समग्र तरीके पर ध्यान देने की कोशिश कर रहा हूं, जो निश्चित रूप से आप जो खाते हैं और अपने शरीर में क्या डालते हैं, उससे शुरू होता है. इसके अलावा सीजेआई ने कहा कि आयुर्वेद के पारंपरिक लाभों के लिए मैं सभी डॉक्टरों और आयुष का बहुत आभारी हूं. उनके पास साकेत में एक शानदार सुविधा है और अब हम इसे सुप्रीम कोर्ट में ला रहे हैं. इस केंद्र को बनाने में योगदान देने वाले सभी डॉक्टरों ने इसे वैज्ञानिक रूप से तैयार किया है. हम इसे सुप्रीम कोर्ट और इसके माध्यम से पूरे देश के लिए खोल रहे हैं.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लगभग एक साल पहले मैंने पंचकर्म कराया था और अब मौसम बदल रहा है, तो मैं इसे फिर से करवाना चाहता हूँ. लेकिन, हमारी सुप्रीम कोर्ट में 2000 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनमें हमारे सहयोगी और सभी 34 जज शामिल हैं. इन लोगों पर रोजमर्रा के काम का बहुत तनाव रहता है, जिससे फाइलों का भी बोझ बहुत ज्यादा रहता है. मेरा मानना है कि सिर्फ जजों और उनके परिवारों के लिए ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों के लिए भी एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है. उनके माध्यम से हम पूरे देश के लिए यह संदेश फैला सकते हैं.
केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए हमें हर भारतीय को रोगमुक्त बनाना होगा. सोनोवाल ने कहा कि यह परियोजना 20,000 से अधिक आदिवासी छात्रों को लाभ पहुंचाएगी. आयुष मंत्रालय अपने शोध परिषद, केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) के माध्यम से आदिवासी मामलों के मंत्रालय और ICMR-जाबलपुर स्थित राष्ट्रीय आदिवासी स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के संयुक्त प्रयास से आदिवासी छात्रों के लिए यह स्वास्थ्य पहल शुरू कर रहा है.
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