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Covaxin Side Effects: कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन के भी साइड इफेक्ट, क्या यह टीका लगवाने वालों को परेशान होना चाहिए?

Covaxin Side Effects: अभी कुछ दिन पहले कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स को लेकर पूरे देश-दुनिया में बवाल मचा है. अब इसी बीच कोविड कोवैक्सीन (Covaxin) पर एक रिसर्च ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.  यह रिसर्च बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) ने की है. इस रिसर्च की रिपोर्ट को स्प्रिंगर लिंक जर्नल ने जारी किया है. रिपोर्ट में सामने आया है कि कोरोना से बचाव की वैक्सीन कोवैक्सीन लेने वालों में से एक तिहाई को उसके साइड इफेक्ट से जूझना पड़ा है.

कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन पर रिपोर्ट

926 प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन में लगभग 50 प्रतिशत ने शोध की अवधि के दौरान भी संक्रमण की शिकायत की. कई लोगों में ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण देखे गए. इतना ही नहीं कोवाक्सिन ले चुके लगभग एक फीसदी लोगों में इसके गंभीर साइड-इफेक्ट्स भी देखे गए जिसके कारण लोगों ने स्ट्रोक और गुइलेन-बैरी सिंड्रोम जैसी समस्याओं की भी शिकायत की.

रिपोर्ट हुए साइडइफेक्ट्स में मुख्य तौर पर ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण, त्वचा संबंधी समस्या और मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं यानी हड्डियों और जोड़ों से जुड़ीं समस्याएं शामिल हैं. रिसर्च का दावा है कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की तरफ से विकसित कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन लेने वाली 5 प्रतिशत महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी असामान्यताएं देखी गईं.

क्या कहता है रिसर्च

यह स्टडी उस वक्त सामने आया है, जब दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन से बहुत ही कम मामलों में खून के थक्के जमने की समस्या पैदा हो सकती है. भारत में भी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का कोविशील्ड नाम से उत्पादन हुआ था जिसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है. कोवैक्सिन भारत में कोविशील्ड के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला कोविड वैक्सीन था.

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के 926 कोवैक्सिन लेने वालों से संपर्क किया और उनसे वैक्सीन लगने के एक साल बाद होने वाली किसी भी तरह की समस्याओं के बारे में पूछा. अध्ययन के मुताबिक, 48% किशोरों (304) और 43% वयस्कों (124) में साल भर में वायरल संक्रमण (जुकाम आदि) की समस्या हुई.

कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी की प्रतिक्रिया

भारत बायोटेक कंपनी का इस स्टडी पर ये कहना है कि सुरक्षा से जुड़े ऐसे अध्ययनों को सही जानकारी देने और किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से बचने के लिए कई तरह के आंकड़ों को ध्यान में रखना जरूरी होता है.

निहारिका गुप्ता

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