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क्या है हीमोफिलिया? जानें किस वजह से होती है ये गंभीर बीमारी…जानें इसके लक्षण और इलाज

Hemophilia Symptoms and Causes: हीमोफीलिया यानि एक ऐसा ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, जिसमें खून के थक्के न बन पाने के कारण ब्लीडिंग रूकने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. वे लोग जो इस समस्या से ग्रस्त होते हैं, उनमें चोट के बाद बढ़ने वाली ब्लीडिंग नेचुरली नहीं रूकती है. हीमोफीलिया से ग्रस्त लोगों में क्लॉटिंग फैक्टर्स की कमी पाई जाती है. दरअसल, इनके शरीर में खूब को क्लॉट्स की फॉर्म में परिवर्तित करने वाला प्रोटीन शरीर में कम होने लगता है, जिससे बहते खून को रोक पाना मुश्किल हो जाता है. ये एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो बच्चों में माता पिता के कारण बढ़ने लगता है.  हालांकि हीमोफीलिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसका ट्रीटमेंट लक्षणों को मैनेज करने और कॉम्प्लीकेशन्स को रोकने में मदद कर सकता है. सही देखभाल से हीमोफीलिया से पीड़ित लोग पूर्ण और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.

हीमोफिलिया होने का कारण

हीमोफिलिया ए और बी, गंभीर आनुवांशिक रक्तस्रावी रोग (हेमेरेजिक डिसऑर्डर) के सबसे आम प्रकार हैं. ये दोनों फैक्टर VIII और फैक्टर IX प्रोटीन की कमी के कारण होते हैं. इसके मरीजों को लंबे समय तक रक्तस्राव झेलना पड़ता है. भले ही घाव हो या नहीं. यह सब फैक्टर गतिविधि के आधार पर तय होता है. इस बीमारी में सबसे ज्यादा फोकस रक्तस्राव से बचना और उसका उपचार करना होना चाहिए. हीमोफीलिया के मरीजों के लिए जरूरी है कि उनमें बह चुके ब्लड की पूर्ति की जाए और अच्छे खानपान के माध्यम से उनके शरीर में खून की औसत मात्रा बनाई रखी जाए. खानपान से जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कॉपर, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन के, बी-12, बी-6 और विटामिन सी मिलते हैं. ये सभी लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल/आरबीसी) के उत्पादन के लिए जरूरी हैं. सही खानपान से शरीर में ब्लड की मात्रा बढ़ती है.

हीमोफीलिया के प्रकार

हीमोफीलिया के चार मुख्य प्रकार होते हैं, जो प्रभावित होने वाले विशिष्ट क्लॉट प्रोटीन द्वारा पता चलते हैं.

हीमोफीलिया ए

हीमोफीलिया ए, जिसे क्लासिकल हीमोफीलिया भी कहा जाता है, सबसे आम स्थिति है. यह फैक्टर VIII की कमी के कारण होता है, एक प्रोटीन जो ब्लीडिंग को कण्ट्रोल करने में मदद करता है.

हीमोफीलिया बी

हेमोफिलिया बी, जिसे क्रिसमस रोग भी कहा जाता है, फैक्टर IX की कमी के कारण होता है. यह प्रकार हीमोफीलिया ए की तुलना में ज़्यादा आम नहीं है.

हीमोफीलिया सी

हेमोफिलिया सी, जिसे रोसेन्थल सिंड्रोम भी कहा जाता है, फैक्टर XI की कमी के कारण होता है. यह प्रकार अपेक्षाकृत दुर्लभ है.

एक्वायर्ड हीमोफीलिया

अंत में, अधिग्रहीत हीमोफीलिया हेरेडिटरी नहीं है और किसी भी उम्र में हो सकता है. यह एंटीबॉडी के विकास के परिणामस्वरूप होता है जो क्लॉट बनाने वाले प्रोटीन पर हमला करता है और उसे नष्ट कर देता है. एक्वायर्ड हीमोफीलिया बहुत दुर्लभ है, लेकिन अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो यह संभावित रूप से जीवन के लिए खतरा हो सकता है.

हीमोफीलिया के लक्षण

  • हीमोफीलिया से ग्रस्त लोगों में नाक से खून बहने की समस्या बढ़ जाती है.
  • किसी चोट, घाव या सर्जरी के बाद ब्लीडिंग लगातार जारी रहती है.
  • त्वचा पर गहरे नीले निशान नज़र आने लगते हैं.
  • जोड़ों में दर्द और सूजन के बढ़ले की समस्या का सामना करना
  • महिलाओं में पीरियड के दौरान ब्लड फ्लो का अचानक बढ़ जाना
  • ज्वाइंटस और मसल्स से रक्त का स्त्राव होने लगना
  • यूरिनेशन और स्टूल पास करने के दौरान ब्लीडिंग का होना
  • इससे ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग बढ़ने लगती है और सिरदर्द का सामना करना पड़ता है.
  • दांतों और मसूढ़ों से भी खून बहने लगता है.

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हीमोफिलिया के मरीजों के लिए डाइट

आयरन से भरपूर भोजन हीमोफिलिया के मरीजों के लिए लाभदायक है. आयरन लाल रक्त कोशिकाओं और इसके प्रोटीन – हीमोग्लोबिन के उत्पादन में सहायता करता है. आयरन से भरपूर खाद्य-संसाधनों में एनिमल प्रोटीन जैसे – बिना चर्बी का लाल मांस, लीवर (यह क्लॉटिंग फैक्टर का भी अच्छा स्रोत है), सी-फूड, पोल्ट्री प्रोडक्ट्स और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे – गोभी, पालक, हरी फूलगोभी के अलावा किशमिश, अनाज, मटर और सूखी फलियां आदि शामिल होते हैं.

-भारत एक्सप्रेस 

निहारिका गुप्ता

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