प्रयागराज शूटआउट मामले पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘माफियाओं को मिट्टी में मिला दूंगा’ वाले बयान ने अपराधों को लेकर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को एक बार फिर चर्चा के केन्द्र में ला दिया है। 24 फरवरी को हुए इस हत्याकांड के बाद से योगी आदित्यनाथ कई मौकों पर दोहरा चुके हैं कि घटना में शामिल दोषियों को ऐसी सजा दी जाएगी जिसे आने वाली पीढ़ियां भी याद करेंगी। वैसे तो ऐसी घटनाओं के बाद सत्ता तंत्र की ओर से इस तरह की बयानबाजी हमारे देश में एक परंपरा बन चुकी है, लेकिन चूंकि अपराध से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर योगी आदित्यनाथ की छवि लीक से हटकर चलने वाले मुख्यमंत्री की है, इसलिए इस मामले में उनकी सरकार की तरफ से हो रही हर कार्रवाई पर उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर है।
ये विषय इसलिए और भी अहम हो जाता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध और आपराधिक गिरोहों को काबू में करने में योगी सरकार का रिकॉर्ड राज्य की पिछली सरकारों से ज्यादा प्रभावी दिखता है। यहां तक कि अपराधियों के खिलाफ सख्त और लगातार कार्रवाई ने मुख्यमंत्री योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में स्थापित कर दिया है। अगर योगी कई सार्वजनिक मंचों से ऐलान करते दिखे हैं कि कानून तोड़ने वालों को ‘या जेल भेजा जाएगा या जहन्नुम’, तो उन्होंने इस दावे को सच भी कर दिखाया है। उत्तर प्रदेश में साल 2017 में योगी सरकार के गठन के बाद से सूबे की पुलिस करीब 10 हजार एनकाउंटर और 178 इनामी बदमाशों को ढेर कर चुकी है। ये सभी नामजद अपराधी थे। इनमें से 160 अपराधियों पर पुलिस की ओर से 75 हजार से 5 लाख रुपये तक के इनाम घोषित थे। वहीं करीब 23 हजार से ज्यादा अपराधी जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाए गए हैं। अपराधियों की 4,400 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को जब्त या नष्ट कर दिया गया है। ऐसी संपत्तियों पर लड़कियों के लिए स्कूल और गरीबों के लिए घर बनाए जा रहे हैं। इससे समाज में एक बेहतर संदेश भी गया है। पुलिस की इन कार्रवाइयों से एक तरफ जहां समाज के सभी वर्गों विशेषकर महिलाओं, बालिकाओं, कमजोर वर्गों और कारोबारियों में सुरक्षा की भावना को सुदृढ़ किया है, वहीं अराजकता और खौफ के प्रतीक बन चुके कई बाहुबलियों को भी घुटनों पर ला दिया है।
माफिया कोई भी हो, उसे पाताल से निकाल कर लाने के अपने दावे को योगी आदित्यनाथ एक वादे की तरह पूरा कर रहे हैं। एक के बाद एक अपराध करने वालों को उसी की भाषा में जवाब मिलने के कारण भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति में कहीं अधिक सुधार हुआ है। भीड़भाड़ वाली जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और पैदल गश्त बढ़ा दी गई है। राज्य में एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन कर महिलाओं के खिलाफ अपराध पर लगाम लगाई गई है। अपराधियों विशेषकर महिला संबंधी अपराधों में गिरफ्तार आरोपियों को सजा तय करवाने में उत्तर प्रदेश आज देश का अव्वल राज्य बन गया है। साइबर क्राइम पर सख्ती, संपत्ति की बरामदगी और शस्त्रों की जब्ती जैसे मामलों में भी यूपी देश के शीर्ष पांच राज्यों में आ गया है। जमीन पर इसका असर यूं भी समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में अब त्योहार हो या चुनाव सब शांति से निपट रहे हैं और तमाम माफिया करोड़ों की संपत्ति कुर्क होने और गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए नाक रगड़ रहे हैं। एक तरफ जहां पलायन से वीरान हो गए कैराना और कांधला जैसे कस्बे फिर से आबाद हो रहे हैं, वहीं हरदोई से हमीरपुर तक हो रहा निवेश उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश में बदलने की नींव रख रहा है।
जीरो टॉलरेंस के क्षेत्र में देश के दो सबसे बड़े प्रतीक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली के मुरीद बन चुके हैं। हाल ही में प्रदेश में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी देश के शीर्ष नेतृत्व ने यूपी की कानून व्यवस्था की खुले स्वर में तारीफ की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश में 34.09 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आने का सबसे बड़ा श्रेय यूपी पुलिस को ही दिया। प्रदेश के इतिहास में ये पहला इन्वेस्टर्स समिट रहा जिसमें सभी 75 जनपदों में एक साथ निवेश के प्रस्ताव आए।
जीरो फीसदी अपराध और सौ-फीसदी विकास के मूलमंत्र पर चलकर योगी सरकार कानून के जिस राज को स्थापित करने में सफल हुई है वो अब प्रदेश में तरक्की और खुशहाली की राह प्रशस्त कर रहा है। 2015-16 के मुकाबले अगर आज उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर 19.2 फीसद से घटकर 3.5 से 4 फीसद के बीच आ गई है तो इससे यही संकेत मिलता है कि प्रदेश में नौकरी और रोजगार की सुविधाएं विकसित हुईं हैं। सरकारी दावा है कि प्रदेश में पिछले 5 साल में पांच लाख सरकारी नौकरियां दी गईं और एक करोड़ 61 लाख नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार के साथ जोड़ा गया है। नए एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज जैसी सुविधाएं विकसित होने से उत्तर प्रदेश यकीनन अब नई तस्वीर और बदली तकदीर के साथ आगे बढ़ रहा है। राज्यों का विकास आखिरकार राष्ट्र की प्रगति को ही समृद्ध करता है और उत्तर प्रदेश का योगदान इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है। भारत को अगर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना सच करना है तो उसके लिए पहले उत्तर प्रदेश को ग्रोथ इंजन बनकर अगले पांच साल में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य को सिद्ध करना होगा जो राज्य में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना संभव नहीं होगा। यही प्रदेश में नए निवेश के आने की सबसे बड़ी गारंटी भी है।
योगी सरकार साल 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई थी और तब से ही कानून-व्यवस्था उसके शासन मॉडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। राज्य की पुलिस पर कथित मनमानी और फर्जी एनकाउंटर के आरोपों के बीच सत्ता द्वारा इसे कानून-व्यवस्था में सुधार की दिशा में आवश्यक कार्रवाई बताया जाता रहा है। दंगों के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से जुर्माना वसूलने से लेकर आपराधिक मामलों के आरोपियों के आवासों पर बुलडोजर चलाने जैसे कई सख्त कदम आज उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था का राज कायम करने की योगी सरकार की नीति की पहचान बन गए हैं। यकीनन इसमें कई बार प्रदेश सरकार पर मानवाधिकारों की अनदेखी के आरोप भी लगे हैं, लेकिन दूसरी तरफ निवेशकों का प्रदेश की ओर रुख करना ये भी बताता है कि यह नीति प्रदेश में सुरक्षा और खुशहाली का भरोसा लौटाने में भी कामयाब हुई है।
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