Farmer Akash Chaurasia Multilayer Farming: कम आमदनी के कारण नौजवान खेती किसानी छोड़ कर रोजगार के लिए शहरों में मारा-मारा फिर रहा है. ऐसे में प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने एक ऐसा मॉडल बनाया है जिसे अपना कर किसान मालामाल हो सकते हैं. एमपी के सागर ज़िले के युवा किसान आकाश चौरसिया के इस मॉडल का नाम है मल्टी लेयर फार्मिंग. इससे एक एकड़ में आठ लाख रूपये तक की कमाई हो सकती है.
मध्य प्रदेश में सागर जिले के युवा किसान आकाश चौरसिया का सपना डॉक्टर बनने का था. लेकिन उन्होंने समाज को रसायन-मुक्त खाने की चीजें देने के लिए खेती को अपने पेशे के रूप में चुना. इसके बाद साल 2014 में मल्टीलेयर फार्मिग का मॉडल पेश किया. जगह और संसाधनों के सिमटते इस दौर में, जब हाईराइज अपार्टमेंट्स में लोग शौक से रह रहे हैं, तो इस तरह की मल्टी लेयर खेती भला क्यों नहीं हो सकती? इसलिए युवा किसान ने मल्टीलेयर फार्मिंग को व्यावहारिक रूप दे दिया.
वो दिन दूर नहीं, जब आप किसानों से बहुमंजिली इमारत की तरह पूछेंगे कि भाई साहब आप कितनी मंजिल की खेती करते हैं? 4 मंजिल की या 5 मंजिल की? और वो आपको इसी तरह इसका जवाब भी देंगे. जी हां मल्टीलेयर फार्मिंग है ही कुछ ऐसी जिसमें कई लेयर यानी कई स्तरों पर या सतहों पर फ़सलें उगाई जा सकती हैं.
आकाश चौरसिया पहले लेयर में ज़मीन के अंदर भूमिगत जड़ फसल, अदरक, हल्दी, दूसरे सतह पर पत्तेदार सब्जियां, धनिया, तीसरे सतह पर लता फसलें, करेला, कुंदरू, चौथे सतह पर ट्रेलिस के ऊपर फल पौधे, पपीता, सहजन, पांचवा ट्रेलिस और मिट्टी की सतह के बीच, लौकी, तुरई लगाते हैं. यानी एक ही खेत में 5 से 6 फसलें लगाते हैं.
चौरसिया बताते हैं कि इसके लिए किसान पहले जमीन में ऐसी फसल लगाएं, जो कि भूमि के अंदर उगती है. इसके बाद उसी भूमि में सब्जी और फूलदार पौधे लगा सकते हैं. इन फसलों के अलावा छायादार और फलदार वृक्ष भी लगा सकते हैं. इसमें बांस के डंडों और घास का इस्तेमाल किया जाता है. मल्टीलेयर खेती में एक फ़सल की लागत में 4 फ़सलें उपजाना संभव है. मतलब लागत चार गुना घट जाती है. इसी कारण मुनाफ़े में औसतन लगभग 4 गुना वृद्धि होती है. आकाश चौरसिया की मल्टीलेयर फार्मिग भारतीय कृषि को नई परिभाषा दे रहे हैं। उनकी तकनीक आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है.
आकाश चौरसिया का कहना है कि आज के समय में देश में खेती का रकबा धीरे धीरे घट रहा है और छोटी जोत वाले किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्हें खेती से फसल का कम उत्पादन मिल पाता है, जिस कारण आज की खेती के लिए यह तकनीक बहुत उपयोगी है. इस तकनीक से किसान एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती आसानी से कर सकते हैं.
दरअसल मल्टीलेयर फार्मिंग में ना सिर्फ खेत की 1-1 इंच ज़मीन का इस्तेमाल कर लिया जाता है, बल्कि ज़मीन के नीचे से लेकर सतह और उसके ऊपर भी कई स्तरों पर एक साथ फ़सलें उगाई जाती हैं. इससे खेत तैयारी से लेकर सिंचाई और खाद जैसे संसाधन पर भी एक फ़सल की लागत बराबर या कई बार उससे भी कम खर्च होते हैं.
एक साथ कई फसलें लेने के चलते, एक फ़सल से दूसरे को पोषक तत्व मिल जाते हैं. जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती तो खरपतवार भी नहीं निकलता. इसलिए निराई-गुड़ाई में खर्च भी नहीं होता है और ना किसी खरपतवारनाशी की कोई ज़रूरत रह जाती है. मल्टीलेयर फार्मिंग शेडनेट की तरह काम करता है, इसलिए इसमें कीट नहीं लगते. रोग नहीं होता, पेस्टीसाइड का खर्च बचता है. साथ ही ये स्ट्रक्चर मौसम परिवर्तन के थपेड़ों से भी फ़सलों को बचाता है.
मल्टीलेयर या बहुस्तरीय खेती के लिए एक ख़ास तरह का स्ट्रक्चर बनाना पड़ता है जिसे आप मंडप कह सकते हैं. ये आसान होने के साथ ही सस्ता भी है. इसका स्ट्रक्चर पांच साल तक लगातार चलता है. एक साल की लागत सिर्फ 25 हजार रुपये है. आकाश मल्टीलेयर फार्मिंग के इस मॉडल की अपनी खेती में जैविक विधियों का इस्तेमाल करते हैं जिसमें सिंचाई से लेकर खाद प्रबंधन तक में परंपरागत और आधुनिक विधियों का संगम दिखता है.
वे पशुपालन कर खुद गाय के गोबर से वर्मी कंपोस्ट, वर्मी वॉश बनाते हैं और इसका इस्तेमाल करते हैं. वहीं, फसलों को ज़रूरी धूप और बारिश का पानी भी मिलता रहता है.
संसाधनों के घोर अभाव वाले इस युग में भला कौन नहीं इस तकनीक को सराहेगा? आकाश चौरसिया बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, शंकराचार्य विश्वविद्यालय रायपुर, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय और सागर विश्वविद्यालय सहित देश की प्रतिष्ठित कई यूनिवर्सिटीज में लेक्चर दे चुके हैं.
कई सम्मान पा चुके आकाश अपने सागर स्थित फार्म में एक लाख पैंतीस हज़ार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. यही नहीं आकाश ने लगभग 75 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती में सफलतापूर्वक परिवर्तित किया है.
उनसे प्रशिक्षित किसान कहते हैं कि अगर बहुमंजिली इमारतें बनीं, डबल-डेकर बस आई, छोटी सी बोगी में कई बर्थ पर लेटे सैकड़ों यात्री सफ़र कर सकते हैं तो फिर मल्टीलेयर फ़ार्मिंग क्यों नहीं हो सकती है?
— भारत एक्सप्रेस
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