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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा से पूरी होती है संतान की मुराद, जानें किस विधि से करनी चाहिए मां की आराधना

Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में माता के इस रूप की पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर साल भर मां की कृपा बनी रहती है.

Skand mata

Chaitra Navratri 2023 Fifth Day: 22 मार्च से शुरु हुए चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण उन्हें यह नाम मिला. क्योंकि कुमार कार्तिकेय को सनत-कुमार और स्कंद कुमार के नाम से भी पुकारा जाता है. यही कारण है कि स्कंदमाता को वात्सल्य की देवी माना गया है. नवरात्रि में माता के इस रूप की पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर साल भर मां की कृपा बनी रहती है.

निराला है स्कंदमाता का स्वरूप

कहा जाता है कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है तो माता सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप लोक कल्याणकारी है. चार भुजाओं वाली मां ने अपने दाएं ओर की ऊपर वाली भुजा से भगवान कार्तिकेय को गोद में पकड़ा हुआ है. वहीं एक भुजा में कमल का फूल तो एक भुजा में वरद मुद्रा है. इसके अलावा नीचे वाले हाथ में दूसरा कमल का फूल लिया हुआ है. माता शेर पर सवार है.

इस विधि से करें पूजा

स्कंदमाता की पूजा करने के लिए लाल वस्त्र धारण करें. इसके बाद मां को सुहाग की सभी सामग्री, अक्षत, गुड़हल का लाल फूल और मां का पसंदीदा भोग अर्पित करें. स्कंदमाता को भोग में पीली वस्तुएं अधिक पसंद हैं. केसर डालकर पीली खीर और केला तो मां को अवश्य अर्पित करना चाहिए. संतान की प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस दिन स्कंदमाता की पूजा करती हैं. मां की कृपा से उनकी यह मुराद पूरी होती है.

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यह एक चीज मां को है अत्यंत प्रिय

स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण का विशेष महत्व है. इस दिन मां को यह जरूर अर्पित करें. इसके अलावा रोली कुमकुम से मां का तिलक करें और मां को सुगंधित फूलों से बनी माला चढ़ाएं. मां को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष तौर पर इस मंत्र का जाप करें-  या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मंत्र का जाप करें.



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