खेल

Bhavani Devi: ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज

सफर छोटा भले ही हो, लेकिन इतना रोचक हो कि जमाना सदियों तक उसे याद करे. भारतीय तलवारबाजी की अब तक की सबसे बड़ी आइकन भवानी देवी का सफर भी कुछ ऐसा ही है. या यूं कह लीजिए भवानी ने भारत में तलवारबाजी का नया अध्याय लिखा.

चदलवाड़ा आनंदा सुंदररामन भवानी देवी, जिन्हें सी. ए. भवानी देवी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय तलवारबाज़ हैं. टोक्यो 2020 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज़ बन गईं.

शुरुआती करियर

भवानी का जन्म 27 अगस्त 1993 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था. 2004 में, उन्होंने स्कूल स्तर पर तलवारबाजी की शुरुआत की. कक्षा 10 की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह केरल के थालास्सेरी में SAI (भारतीय खेल प्राधिकरण) केंद्र में शामिल हो गईं. 14 साल की उम्र में वह तुर्की में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में शामिल हुईं, जहाँ उन्हें तीन मिनट की देरी के कारण ब्लैक कार्ड मिला. फिलीपींस में 2010 एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता.

वह 2023 संस्करण में कांस्य पदक जीतकर एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बन गईं.

देवी, कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज हैं. उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं, हालांकि टोक्यो ओलंपिक में वो मेडल से चूक गईं और पेरिस के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं.

ओलंपिक में भारत का किया प्रतिनिधित्व

भले ही वह टोक्यो ओलंपिक में कोई मेडल नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने अपने साथ भारत का नाम ओलंपिक के इतिहास में दर्ज करा दिया. दरअसल, फेंसिंग साल 1896 से ओलंपिक का हिस्सा रहा है, लेकिन 125 साल बाद कहीं जाकर भारत ने इस खेल में डेब्यू किया, जिसका प्रतिनिधित्व सी. ए. भवानी देवी ने किया. इस दौरान उन्होंने अपना हुनर साबित किया और विदेशी सरजमीं पर अपनी पहचान बनाई.

फेंसिंग की दुनिया में देवी का नाम नया नहीं है. यह अलग बात है कि टोक्यो के बाद उन्हें पहचान मिली. फेंसिंग में यह तलवारबाज कई मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. शुरुआत उन्होंने साल 2009 के कॉमनवेल्थ गेम से की, जिसमें उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. कैडेट एशियन चैम्पियनशिप, अंडर-23 एशियन चैम्पियनशिप सहित कई टूर्नामेंट्स में मेडल्स अपने नाम किए. अंडर-23 एशियन चैम्पियनशिप जीतने वाली वह पहली भारतीय हैं. ऐसे कई और भी रिकॉर्ड्स है, जिस पर भारत की इस बेटी का कब्जा है.

मजबूरी में अपनाया फेंसिंग

देवी ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने इस खेल को मजबूरी में अपनाया था, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह पसंद आ गया और वक्त के साथ उनका पूरा ध्यान इस खेल पर आ गया.

देवी ने बताया था, जब मैं 2004 में नए स्कूल में गई तो वहां पर सीनियर्स ने बताया कि हर गेम में एक क्लास से 6 बच्चे ही अपना नाम लिखवा सकते हैं. जब मैं अपना नाम देने गई तो सभी खेलों में 6-6 बच्चे हो चुके थे. सीनियर्स ने कहा, फेंसिंग में बच्चे नहीं हैं. इसमें नाम लिखवा लो. यह नया गेम है. मैंने जब ट्रेनिंग शुरू की तो मुझे यह गेम काफी अच्छा लगा, उसके बाद मैंने अपना पूरा फोकस इस गेम पर लगा दिया.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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