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Para Badminton : कैसे होता है खिलाड़ियों का वर्गीकरण?

Para Badminton: पैरा बैडमिंटन की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1990 के दशक में हुई थी. साल 1998 में नीदरलैंड में पहली पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था. लेकिन पैरालंपिक खेलों में यह पहली बार टोक्यो 2020 में खेला गया था. साल 2011 में इस खेल को बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के अंतर्गत लाया गया. ओलंपिक में बैडमिंटन की तरह, पैरा बैडमिंटन भी बेहद लोकप्रिय खेल है और दुनिया के 60 से अधिक देशों में खेला जाता है.

भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन में शानदार प्रदर्शन किया था. भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों ने विभिन्न कैटेगरी में चार मेडल हासिल किए थे, जिसमें दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल था. पैरा बैडमिंटन में ऑर्थोपेडिक इम्पेयरमेंट, पैराप्लेजिया, क्वाड्रीप्लेजिया, हेमीप्लेजिया, सेरेब्रल पाल्सी, डीजेनेरेटिव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, न्यूरोलॉजिकल डिसेबलिटी वाले खिलाड़ी खेलते हैं.

कई बार यह नाम कन्फ्यूजन पैदा कर सकते हैं कि कौन सा खिलाड़ी किस कैटेगरी में खेलता है और यह कैटेगरी क्या बताती है. इन सब चीजों पर स्पष्टता के लिए पैरा बैडमिंटन में वर्गीकरण के बारे में डिटेल जानकारी दी गई है. पैरालंपिक में खिलाड़ियों के इंपेयरमेंट के अनुसार विभिन्न वर्गीकरण किए जाते हैं. पैरालंपिक बैडमिंटन खिलाड़ियों को उनके शरीर की क्षमता के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है. वर्गीकरण में अक्षर और नंबर दोनों इस्तेमाल होते हैं.

अक्षर ‘डब्ल्यूएच’ का मतलब व्हीलचेयर, ‘एसएल’ का मतलब स्टैंडिंग लोअर, ‘एसयू’ का मतलब स्टैंडिंग अपर, ‘एसएच’ का मतलब शॉर्ट स्टैचर होता है.

नंबर 1 और 2 व्हीलचेयर यूजर के लिए इस्तेमाल होता है.

नंबर 3 और 4 लोअर लिंब इंपेयरमेंट या माइल्ड हेमीप्लेजिया वाले खिलाड़ी के लिए इस्तेमाल होता है.

नंबर 5 में आर्म इंपेयरमेंट और नंबर 6 छोटे कद के खिलाड़ी को दर्शाता है.

अक्षर और नंबर दोनों मिलाकर खिलाड़ियों का अंतिम वर्गीकरण तय होता है जो नीचे दिया गया है.

डब्ल्यूएच1: ऐसे खिलाड़ी जो व्हीलचेयर का उपयोग करते हैं और उनके पैर और धड़ की क्षमता बहुत कम है.

डब्ल्यूएच2: ऐसे खिलाड़ी जो व्हीलचेयर का उपयोग करते हैं लेकिन उनके पैर और धड़ में थोड़ी सी समस्या है.

खड़े होकर खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए एसएल इस्तेमाल होता है. लेकिन इन खिलाड़ियों के पैरों में कम या अधिक गंभीर समस्या होती है.

एसएल3: ये खिलाड़ी खड़े होकर खेलते हैं लेकिन उनके निचले शरीर में समस्या होती है, और चलने या दौड़ने में संतुलन बिगड़ जाता है.

एसएल4: इन खिलाड़ियों के पैरों में एसएल3 की तुलना में कम गंभीर समस्या होती है. चलने या दौड़ने में थोड़ी सी संतुलन की समस्या हो सकती है.

खड़े होकर खेलने वाले खिलाड़ियों की एक और कैटेगरी एसयू है.

एसयू5: इन खिलाड़ियों की ऊपरी भुजाओं में समस्या होती है. यह समस्या उनके खेलने वाले या न खेलने वाले हाथ में हो सकती है.

एसएच6: ये खिलाड़ी छोटे कद के होते हैं और खड़े होकर खेलते हैं.

ये भी पढ़ें- समोआ के इस खिलाड़ी ने T20 क्रिकेट में तोड़े कई रिकॉर्ड, एक ओवर में बना डाले 39 रन

-भारत एक्सप्रेस

Vikash Jha

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