बाजार की चकाचौंध से नहीं भीतर के दिये को जलाकर मनाएं दीवाली: आचार्य प्रशान्त
आचार्य प्रशान्त ने कहा कि हम झूठी कल्पनाओं, अंधविश्वास के आदि हो चुके हैं. हमारे धर्म ग्रंथ ही हमें सही जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं. और हम उनकी तरफ जाने को तैयार नहीं होते.