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bihar caste survey

2005 में बिहार की सत्ता पर नीतीश कुमार काबिज हुए थे. इसके बाद से अब तक नीतीश कुमार की पार्टी ही सत्ता के केंद्र में रही है. हालांकि, 3 बार जेडीयू ने अपना सहयोगी जरूर बदला. 18 साल के शासन में 3 साल आरजेडी-कांग्रेस और 13 साल बीजेपी सत्ता की हिस्सेदार रही.

बिहार के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 6.21 लाख ओबीसी अभी सरकारी नौकरी में हैं. इनमें यादव (2.90 लाख), कुशवाहा (1.21 लाख), कुर्मी (1.17 लाख), बनिया (59 हजार) सूरजपुरी मुस्लिम (15 हजार), भांट (5100) और मलिक मुस्लिम (1552) शामिल हैं.

बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे रिपोर्ट को जारी करने के बाद अब जातिगत अमीर और गरीब के आंकड़ों का डेटा जारी किया है. जिसमें राज्य की 13 करोड़ आबादी में 94 लाख लोग गरीब बताए गए हैं.

बिहार में जातीय गणना के जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. इसी कड़ी में पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने INDIA गठबंधन पर निशाना साधा.

जातीय गणना को लेकर दायर की गई कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. कोर्ट ने इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार किया है.

पीएम मोदी ने आगे कहा, "कल से कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है, ये कहते हैं जितनी आबादी, उतना हक. मैं कहता हूं इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है तो वह गरीब है इसलिए गरीब कल्याण ही मेरा मकसद है."

Supreme Court On Bihar Caste Survey: केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय देने की मांग की जिसे कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया गया.

राजनीतिक नफे-नुकसान से इतर इस बात में कोई दो-राय नहीं कि जातिगत जनगणना भारतीय राजनीति में जाति के महत्व को बढ़ाएगी।