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Ratan Lal

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रोफेसर की यह टिप्पणी समाज के सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाली थी और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा को पार करती है.