एकता का दृष्टिकोण: राष्ट्रीय विकास के लिए एक आध्यात्मिक खाका
आध्यात्मिक नेता डॉ. विनोद स्वर्ण गुरु ने कहा कि भारत की वैश्विक आकांक्षाओं की नींव उसकी विविधता और एकता में छिपी है. सामाजिक समरसता और समावेशिता के बिना नवाचार और विकास असंभव है.
आध्यात्मिक नेता डॉ. विनोद स्वर्ण गुरु ने कहा कि भारत की वैश्विक आकांक्षाओं की नींव उसकी विविधता और एकता में छिपी है. सामाजिक समरसता और समावेशिता के बिना नवाचार और विकास असंभव है.